फतेहपुर। गर्मी बढ़ने के साथ ही संक्रामक बीमारियां तेजी से पांव पसार रही हैं। जिला अस्पताल में मलेरिया बुखार और उल्टी-दस्त के रोगियों की रोजाना बढ़ रही है। अस्पताल के रिकार्ड पर नजर डाले तो पहले के मुकाबले दोगुने रोगी बढ़े हैं। इन दिनों नए रोगियों का पंजीयन पांच सौ से बढ़कर लगभग एक हजार पहुंच गया है। यही नहीं भर्ती होने वाले रोगियों की संख्या भी बढ़ी है। अस्पताल के तीनों वार्ड रोगियों से फुल रहते हैं। उधर, इस संबंध में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. केएल वर्मा का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग संक्रामक बीमारियों के उपचार और बचाव को लेकर पूरी तरह सजग है। रोगियों के उपचार में किसी तरह की समस्या आड़े नहीं आएगी।
दूषित जलापूर्ति और गंदगी की भरमार के कारण मलेरिया बुखार और उल्टी-दस्त के रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में गंदगी की भरमार है। शहर के नजदीकी गांव बंकधा और सनगांव में तो अभी से संक्रामक बीमारियों के रोगियो की लाइन लगी है। विजईपुर ब्लाक के खखरेडू गांव में तो सप्ताह भर पहले पैल्सी फेरम मलेरिया बुखार के दो रोगी चिंह्ति हो चुके हैं। इन गांवों में तैनात सफाई कर्मचारी का कुछ अता-पता नहीं रहता है। यही कारण है कि इन गांवों में मानसून आने से पहले ही संक्रामक बीमारियों ने पांव पसार लिए हैं।
वहीं, यदि शहर की स्थिति पर नजर डाली जाए तो यहां बरसात के बाद स्थिति और गंभीर हो सकती है। नालों की सफाई अभी तक नहीं पूरी हो पाई है, जिन मोहल्लों में नालों की सफाई हो गई है, वहां पर सिल्ट जस की तस हालत में पड़ी है। कुछ मोहल्ले तो ऐसे हैं जिनमें पिछली बरसात में जलभराव होने के कारण नगर पालिका परिषद ने नाला निर्माण कराने की बात कही थी, लेकिन दूसरी बरसात आने में कुछ ही समय शेष है, लेकिन नाला निर्माण की शुरूआत तक नहीं हो पाई है।
फतेहपुर। गर्मी बढ़ने के साथ ही संक्रामक बीमारियां तेजी से पांव पसार रही हैं। जिला अस्पताल में मलेरिया बुखार और उल्टी-दस्त के रोगियों की रोजाना बढ़ रही है। अस्पताल के रिकार्ड पर नजर डाले तो पहले के मुकाबले दोगुने रोगी बढ़े हैं। इन दिनों नए रोगियों का पंजीयन पांच सौ से बढ़कर लगभग एक हजार पहुंच गया है। यही नहीं भर्ती होने वाले रोगियों की संख्या भी बढ़ी है। अस्पताल के तीनों वार्ड रोगियों से फुल रहते हैं। उधर, इस संबंध में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. केएल वर्मा का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग संक्रामक बीमारियों के उपचार और बचाव को लेकर पूरी तरह सजग है। रोगियों के उपचार में किसी तरह की समस्या आड़े नहीं आएगी।
दूषित जलापूर्ति और गंदगी की भरमार के कारण मलेरिया बुखार और उल्टी-दस्त के रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में गंदगी की भरमार है। शहर के नजदीकी गांव बंकधा और सनगांव में तो अभी से संक्रामक बीमारियों के रोगियो की लाइन लगी है। विजईपुर ब्लाक के खखरेडू गांव में तो सप्ताह भर पहले पैल्सी फेरम मलेरिया बुखार के दो रोगी चिंह्ति हो चुके हैं। इन गांवों में तैनात सफाई कर्मचारी का कुछ अता-पता नहीं रहता है। यही कारण है कि इन गांवों में मानसून आने से पहले ही संक्रामक बीमारियों ने पांव पसार लिए हैं।
वहीं, यदि शहर की स्थिति पर नजर डाली जाए तो यहां बरसात के बाद स्थिति और गंभीर हो सकती है। नालों की सफाई अभी तक नहीं पूरी हो पाई है, जिन मोहल्लों में नालों की सफाई हो गई है, वहां पर सिल्ट जस की तस हालत में पड़ी है। कुछ मोहल्ले तो ऐसे हैं जिनमें पिछली बरसात में जलभराव होने के कारण नगर पालिका परिषद ने नाला निर्माण कराने की बात कही थी, लेकिन दूसरी बरसात आने में कुछ ही समय शेष है, लेकिन नाला निर्माण की शुरूआत तक नहीं हो पाई है।