फतेहपुर। नगर पालिका परिषद के शहरवासियों को साफ पानी मुहैया कराने का प्रयास बेमकसद साबित हुआ। दो साल पहले नलकूपों से निकलने वाले पानी के विसंक्रमण के लिए लगाए इलेक्ट्रानिक माइक्रो डोजर दूषित जलापूर्ति रोकने में काम नहीं आए। तब तत्कालीन ईओ अरुण कुमार गुप्ता के प्रयास से लगे यह डोजर कबाड़ बनकर रह गए हैं।
दो वर्ष पूर्व पाइल लाइन के माध्यम से हो रही सीधी जलापूर्ति का विसंक्रमण करने के लिए शहर के 14 नलकूपों में प्रति नलकूप 16 हजार की लागत से इलेक्ट्रानिक माइक्रो डोजर लगवाए थे। इन डोजरों के माध्यम से नलकूपों से डिस्चार्ज होने वाले पानी में क्लोरीन का घोल मिलने की व्यवस्था थी। यह व्यवस्था दो तीन महीने तक तो चली, लेकिन तत्कालीन ईओ के तबादले पर चले जाने के बाद डोजर क्लोरीन की व्यवस्था न होने के कारण धीरे-धीरे बंद होते गए। इतना ही नहीं पानी की आपूर्ति के विसंक्रमण के लिए नगर पालिका परिषद ओवरहेड टैंकों का भी इस्तेमाल नहीं कर रही है। टैंकों पानी लोड होने के बाद क्लोरीन या फिर ब्लीचिंग मिलाकर जलापूर्ति के विसंक्रमण का प्राविधान हैै। उधर, अवर अभियंता गौरीशंकर पटेल का कहना है कि उन्हें सप्ताह में तीन दिन के लिए नगर पालिका परिषद में संबद्ध किया गया है। ऐसी हालत में हर जगह पर नजर रख पाना मुश्किल हो रहा है। डोजर खराब होने की जानकारी नहीं है। उन्होंने डोजरों की स्थिति की जानकारी के लिए सभी पंप चालकों ने रिपोर्ट मंागी है।
नहीं भरे तालाब, उड़ रही धूल
- ग्राम पंचायत कह रही नहीं मिला आदेश
- प्रधान कर रहे नहीं मिला शासन से बजट
फतेहपुर। जून शुरू हो चुका है। लेकिन तालाब पानी से लबालब नहीं हो सके है। कुछ तालाबों को छोड़ कर बाकी सूखे पड़े हैं। जिला प्रशासन ने बीते माह तालाबों में पानी भरवाने की डेड लाइन जारी की थी, लेकिन इस पर एक दो कदम ही चला जा सका है। हालात सामने है। तालाब राज्य वित्त योजना से भरने के लिए ग्राम पंचायतों को कहा गया था। इस आदेश के पालन में ग्राम पंचायतों ने जो शार्ट कट का रास्ता अपनाया उससे अस्सी फीसदी से ज्यादा तालाब सूखे हैं। सबसे ज्यादा खराब हालात यमुना पट्टी के हैं। खजुहा, अमौली, बहुआ, असोथर, विजईपुर ये कुछ ऐसे ब्लाक हैं जहां के मवेशियों को पानी पिलाने के लिए नदी जाना होता है।
धाता ब्लाक के पलवा, हरदवा, बेनीपुर, दामपुर व सईदपुर गांव के तालाबों में एक भी पानी से भरा नही जा सका है। प्रधान कहते हैं उन्हें प्रशासन से ऐसा कोई आदेश ही नहीं मिला है। जब कि ब्लाक बजट का रोना रोकर खुद का पिंड छुड़ा रहा है। खजुहा ब्लाक के धौरहरा, कोरौली, गजईपुर, बसंतखेड़ा, रेवरी, बारा में भी तालाब भरे नहीं जा सके है। मवेशी नदी में मुंह मारने को विवश है। नांद सूखे है। यहां के जनप्रतिनिधि कहते है नलकूप खराब पड़े हैं, कैसे भरवाए पानी। तो कुछ समय न होने की बात कहकर गरमी को और भयावह बनाने का अपरोक्ष रूप से ही सही काम कर रहे है।
इंसेट
लो वोल्टेज ने नाक में दम किया
फतेहपुर। शहरी बिजली के लो वोल्टेज के नखरे से परेशान है। सारा दिन आंखमिचौली का खेल जारी रहता है। हालत यह है कि ज्यादातर घरों में बल्ब टिमटिमाते रहते हैं। वोल्टेज इतना भी नहीं रहता कि फ्रिज को ठंडा कर सके और कूलर की ठंडी हवा खिला सके। करीब दो लाख की जनसंख्या वाली यह सिटी बिजली के लिए हांफ रही है। उसे बिजली समस्या का अंत दिखाई नहीं पड़ रहा। कभी अनियमित कटौती का सामना करना होता है। ट्रांसफार्मर फुंक जाने पर कई-कई दिन आपूर्ति शुरू होने का इंतजार करना होता है। नार्थ सिटी में रेड़ईंया, चतुरी का पुरवा, आबू नगर, खलील नगर, ज्वालागंज, मसवानी आदि इलाके लो बोल्टेज का दंश भुगत रहे है। यहां के प्रदीप तिवारी कहते है वोल्टेज न रहने से पंखे मर मर कर चल रहे है। नगर व्यापार मंडल जिलाध्यक्ष किशन मेहरोत्रा कहते है वोल्टेज की समस्या पर विद्युत विभाग संजीदा नहीं हो रहा है। खलील नगर के मुर्सरत अली कहते है सारा दिन वोल्टेज उतरता-चढ़ता रहता है। इससे उपकरण फुंकने का भी डर बना रहता है। साउथ सिटी के श्याम नगर, खम्भापुर, रघुवंशपुरम् कालोनी, विष्णुपुरी, जयराम नगर, राधा नगर, खम्भापुर आदि इलाके लो बोल्टेज से बिजली का सुख नहंी उठा पा रहे है। भाजपा नेता अरविंद बाजपेई कहते है बिजली आने न आने का कोई मतलब नहीं रहता है। वोल्टेज से विद्युत उपकरण काम नहीें करते है। ऐसे में कूलर व फ्रिज बेमकसद साबित हो रहे है। नई बस्ती में की ग़ृहणी माया गौतम कहती है पावर पर्याप्त न आने से पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है। राधा नगर के निवर्तमान सभासद अरुण यादव कहते है विभाग की लापरवाही से समस्या का खात्मा नहीं हो रहा है। एक्सईएन आरआर सिंह का कहना हैं कि जल्द से जल्द उपभोक्ता को उसके हिस्से की बिजली मुहैया कराई जा सके, इसके प्रयास होंगे।