फतेहपुर। असोथर के महामाया सिंह ने हाड़मांस एक करने वाली मेहनत के बाद 47 कुंतल गेहूं उगाया। अब वह इस उपज को बंचने के लिए परेशान है। शाहजहांपुर के सुनील कुमार भी गेहूं तौलाने को भागे-भागे घूम रहे हैं। यह तो बानगी भर है, गेहूं क्रय केंद्रों पर तौल न होने से यह समस्या आम हो गई है। गेहूं क्रय केंद्रों पर बोरों की कमी से तौल ठप पड़ी है। इसके चलते क्रय केंद्रों पर दूर-दूर से किसान आकर कई-कई दिन से डेरा डाले हैं, लेकिन उनके अनाज की तौल नहीं हो रही है। इसके अलावा किसानों की समर्थन मूल्य न मिलने की भी शिकायत है।
पहली अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद के लिए जिले के 68 स्थानों पर कांटे टंगें हैं। अप्रैल बीता, मई बीती और अब जून शुरू हो चुका है। किसानों का गेहूं अभी तक क्रय केंद्र पर नहीं तौला जा सका है। क्रय केंद्रों पर बोरा व भाड़ा का रोना बराबर सुनाई दे रहा है। इतना ही नहीं शासन स्तर से गेहूं की खरीद कराने के लिए जिन 98 आढ़तियों को लाइसेंस दिया था। उनमें से कम से कम एक तिहाई खरीद की बाध्यता न होने की वजह से तौल से बच रहे है। गेहूं क्रय केंद्र व आढ़त पर न तौला जाने से किसान बाजार का रुख करने लगा है, जहां उसको प्रति कुंतल पर कम से कम ढाई सौ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।