फतेहपुर। सरकारी गेहूं खरीद में बोरों की कमी की दिक्कत दूर नहीं हो पाई थी कि अब ट्रांसपोर्टिगिं की नई समस्या खड़ी हो गई है। क्रय केंद्रों पर किसानों से खरीदा गया गेहूं डंप है। ढुलाई के अभाव में यह गेहूं एफसीआई गोदाम तक नहीं पहुंच पा रहा है। ज्यादा समस्या मार्केटिंग विभाग को हो रही है। वाहन स्वामियों ने ओवरलोडिंग के अभाव में गेहूं ढुलाई से किनारा कर रखा है। कुछ दिनों से विपणन विभाग की एक भी गाड़ी पास नहीं हो पाई है। ओवर लोडिंग की समस्या और माल ढुलाई की कीमतों का सही निर्धारण न होने के चलते ढुलाई को लेकर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। नौबत यहां तक आ गई है कि कोई भी वाहन चालक ढ़ुलाई के लिए तैयार नहीं है। पिछले कई दिनों से मार्केटिंग का गेहूं नहीं उठा पा रहा है। अब ढुलाई की समस्या गहरा गई है। मार्केटिंग विभाग की ओर से अभी तक करीब पैंसठ सौ एमटी गेंहू की खरीद हुई है किंतु साढ़े चार सौ एमटी गेहूं की भंडारग्रह तक पहुंचा है। ढुलाई की समस्या की वजह से क्रय केन्द्राें में गेहूं डंप है, जिसे गोदाम तक पहुंचाना चुनौती साबित हो रहा है। ढुलाई के लिए जो सरकारी रेट निर्धारित हैं वह करीब आठ साल पुराने हैं। इस अंतराल के बीच मंहगाई की दर काफी बढ़ी है। मोटर मालिकों का तर्क कि ढुलाई की कीमतें बढ़ाई जाएं। इसके अलावा ओवरलोडिंग भी एक बड़ा मुद्दा है। विभाग कम कीमत पर ज्यादा से ज्यादा माल गोदाम तक पहुंचाना चाहत है। वहीं वाहन चालक मेंटिनेंस का हवाला देते हुए निर्धारित क्षमता से अधिक माल नहीं लादना चाहते हैं। इस विसंगति के चलते ढुलाई में लगे वाहनों स्वामियों ने यूनियन बनाकर सरकारी अनाज उठाने से ही किनारा कर लिया है। इसके कारण मार्केटिंग का गेहूं केंद्रों में पड़े बर्बाद हो रहा है। जिला विपणन अधिकारी प्रदीप कुमार कुशवाहा ने बताया ढुलाई में दिक्कतें आ रही हैं। वाहन स्वामी कीमतों का हवाला देकर माल उठाने को तैयार नहीं है। जो वाहन स्वामी/चालक माल ले भी जाना चाह है वह दबाव की वजह से ऐसा नहीं कर पा रहा है। प्रयास जारी हैं। उम्मीद है कि एक-दो दिन में समस्या हल हो जाएगी।