मलवां (फतेहपुर)। क्षेत्र के मुरादीपुर में प्रतापेश्वर मंदिर में हुई मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में रविवार को सुदामा चरित्र के प्रसंग का वर्णन किया गया। कथा मर्मज्ञा चेतना शास्त्री ने सुदामा को भक्ति की संज्ञा दी जबकि उनकी पत्नी सुशीला को माया की उपमा देते हुए कहा कि भक्ति एवं माया दोनो की ईश्वर की प्रेरणा है।
चेतना शास्त्री ने कहा कि जीवन का लक्ष्य ईश्वर की प्राप्ति है। इस लिए हमे वही कर्म करने चाहिए जो ईश्वर के चरणों में ले जाएं। स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने अंहिसा का संदेश देते हुए कहा कि विश्व में कोई भी धर्म ऐसा नहीं है जो हिंसा की बात करता हो। प्रेम के बिना मुक्ति नहीं है और इस प्रेम का अर्थ सारगर्भित है। प्रेम भौतिक न होकर आध्यामिक हो। पूर्णानंद महाराज, शिवानंद, परमेश्वरानंद, महानंद स्वामी आदि ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। शिवबालक, रघुनाथ, मन्नीलाल, रामप्रताप, राजेन्द्र,अभय सहित भारी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।