फतेहपुर। सदर अस्पताल की ओपीडी में एक मरीज को ढाई मिनट डाक्टर दे पा रहे हैं। इसमें उसे मरीज की नब्ज पकड़नी है। जांच कर पर्ची बनानी है और फिर दवाएं चेक करनी है। ऐसे में करीब दस फीसदी मरीज बगैर नब्ज दिखाए तीमारदारों संग बैंरग लौट रहे हैं। चार डाक्टर्स संबद्ध होने के बाद महज डेढ़ दर्जन डाक्टरों की सेवाएं जैसे- तैसे मरीजों को मिल रही हैं।
जिले के सबसे बड़े सदर अस्पताल में डाक्टरों के 23 पद हैं। इनमेें से वर्तमान समय में केवल 14 डाक्टर तैनात हैं। चार डाक्टर सीएमओ स्तर से अटैच किए गए है। इस प्रकार यहां पर सीएमएस को मिलाकर 18 डाक्टर हैं। डाक्टरों की कमी से अस्पताल में चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। ओपीडी की बात करें तो यह रोजाना सात से आठ सौ का आकंड़ा छू रही हैं। अस्पताल में ग्याहर डाक्टर्स के चैंबर है। प्रत्येक कार्यदिवस पर कोर्ट आदि मामलों की व्यस्तता पर दो या तीन डाक्टर्स के चैंबर बंद रहते हैं। ओपीडी सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक चलती है। इस दौरान ओपीडी संभालने वाले डाक्टर को चैंबर में बैठने से पहले वार्ड में राउंड करना होता है।
अमर उजाला टीम ने शुक्रवार को सुबह साढ़े नौ बजे से दस बजे के बीच सदर अस्पताल का दौरा किया। ओपीडी के लिए इस दौरान 276 पर्चे काटे जा चुके थे। ओपीडी में केवल एक फिजीशियन, एक सर्जन, एक ईएनटी सर्जन, एक परामर्शइदाता का चैंबर मरीजों के लिए खुला था। इनमें भीड़ थी। तीमारदार मरीज दिखाने के लिए लाइन कम होने का इंतजार कर रहे थे। सदर अस्पताल के फिजीशियन डा. अब्दुल सत्तार कहते हैं चार घंटे में कम से कम सौ मरीज देखने होते है। इस प्रकार एक मरीज के लिए उनके पास ज्यादा से ज्यादा दो मिनट का समय रहता है। इस समय में वह मरीज की नब्ज पकड़ते है। उसकी जांच करते है। दवाओं के लिए पर्चा बनाते है और फिर दवाएं देखते है। इसी दौरान अगर कोई सीरियस केस आ गया तो ओपीडी छोेड़कर जाना भी पड़ता है। डा. सत्तार कहते है इंडोर के ही रोज 35 से 40 मरीज देखने की जिम्मेदारी होती है।
फतेहपुर। सदर अस्पताल की ओपीडी में एक मरीज को ढाई मिनट डाक्टर दे पा रहे हैं। इसमें उसे मरीज की नब्ज पकड़नी है। जांच कर पर्ची बनानी है और फिर दवाएं चेक करनी है। ऐसे में करीब दस फीसदी मरीज बगैर नब्ज दिखाए तीमारदारों संग बैंरग लौट रहे हैं। चार डाक्टर्स संबद्ध होने के बाद महज डेढ़ दर्जन डाक्टरों की सेवाएं जैसे- तैसे मरीजों को मिल रही हैं।
जिले के सबसे बड़े सदर अस्पताल में डाक्टरों के 23 पद हैं। इनमेें से वर्तमान समय में केवल 14 डाक्टर तैनात हैं। चार डाक्टर सीएमओ स्तर से अटैच किए गए है। इस प्रकार यहां पर सीएमएस को मिलाकर 18 डाक्टर हैं। डाक्टरों की कमी से अस्पताल में चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। ओपीडी की बात करें तो यह रोजाना सात से आठ सौ का आकंड़ा छू रही हैं। अस्पताल में ग्याहर डाक्टर्स के चैंबर है। प्रत्येक कार्यदिवस पर कोर्ट आदि मामलों की व्यस्तता पर दो या तीन डाक्टर्स के चैंबर बंद रहते हैं। ओपीडी सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक चलती है। इस दौरान ओपीडी संभालने वाले डाक्टर को चैंबर में बैठने से पहले वार्ड में राउंड करना होता है।
अमर उजाला टीम ने शुक्रवार को सुबह साढ़े नौ बजे से दस बजे के बीच सदर अस्पताल का दौरा किया। ओपीडी के लिए इस दौरान 276 पर्चे काटे जा चुके थे। ओपीडी में केवल एक फिजीशियन, एक सर्जन, एक ईएनटी सर्जन, एक परामर्शइदाता का चैंबर मरीजों के लिए खुला था। इनमें भीड़ थी। तीमारदार मरीज दिखाने के लिए लाइन कम होने का इंतजार कर रहे थे। सदर अस्पताल के फिजीशियन डा. अब्दुल सत्तार कहते हैं चार घंटे में कम से कम सौ मरीज देखने होते है। इस प्रकार एक मरीज के लिए उनके पास ज्यादा से ज्यादा दो मिनट का समय रहता है। इस समय में वह मरीज की नब्ज पकड़ते है। उसकी जांच करते है। दवाओं के लिए पर्चा बनाते है और फिर दवाएं देखते है। इसी दौरान अगर कोई सीरियस केस आ गया तो ओपीडी छोेड़कर जाना भी पड़ता है। डा. सत्तार कहते है इंडोर के ही रोज 35 से 40 मरीज देखने की जिम्मेदारी होती है।