गाजीपुर-फतेहपुर। हादसे के बाद शव निकालकर पास ही रखे गए थे। एक शव छप्पर के नीचे एक दरवाजे पर रखा था तो तीन शव अलग-अलग चारपाई पर पेड़ के नीचे रखे गए थे। एक किशोर की मौत घायलावस्था में फतेहपुर ले जाते समय गाजीपुर में हो गई थी जिसका शव गाजीपुर थाना गेट पर रख दिया गया था। थाना गेट से लेकर घटना स्थल तक परिजनों का कोहराम मचा था। चीख-पुकार रहे परिजनों को ग्रामीण ढांढ़स बंधाने में जुटे थे। एसपी आरके चतुर्वेदी ने हर तरफ लोगों के बीच जाकर रो रहे परिजनों को सांत्वना देते हुए ढांढस बंधाया।
एक साथ कई मौतों से अलग ही माहौल था। एक शव के पास पहुंचकर परिजनों को ग्रामीण सांत्वना देते और फिर घूमकर दूसरी ओर पहुंच जाते। सभी तो उनके अपने थे जिनके साथ वह दरवाजे और गली में उठते-बैठते हंसी-ठिठोली और बातचीत करते थे लेकिन अचानक हुए हादसे में वह साथ छोड़ गए थे और परिजन गमगीन थे। मौके पर बड़ा ही मर्मांतक दृश्य था। गांव में जूनियर विद्यालय के पीछे इस यह हिस्सा ग्रामसमाज का है जिसमें उक्त नाला है। यहां पर कुछ लोगों ने अपने कच्चे-पक्के मकान भी बना रखे हैं। ग्रामीण कूड़ा-करकट आदि भी यहां पर एकत्र करते हैं। वहीं पर सभी के शव रखे हुए थे। सभी मृतकों के आवास सड़क में दूसरी तरफ थे और वह नाले में मिट्टी निकालने के लिए आए थे। मालती के पिता सुमेर चारपाई पकड़े गुमसुम बैठे हुए थे और रह-रहकर अपनी बेटी के चेहरे को निहार रहे थे। कभी मुंह से चीख फूट पड़ती तो कभी वह बिल्कुल खामोश हो जाते। ननकाई का भाई इस भीड़ में एक ओर गुमसुम सा खड़ा था। तमाम टोकने पर भी उसके मुंह से बोल नहीं फूट रहे थे। वह बस शून्य में निहारे जा रहा था। भाई की मौत का गम उसे शायद अंदर तक हिला चुका था। केशकली के शव पर परिजनों का विलाप जारी था। उसकी दुधमुंही बच्ची को याद कर परिजन और तेजी से विलख पड़ते।