फतेहपुर। भूगर्भ जलस्तर तेजी से घटने से जिले के चार ब्लाक हथगाम, अमौली, हसवा तथा मलवां को डार्क जोन घोषित कर दिया गया है। इसके चलते इन चारों ब्लाकों में भूगर्भ जल के अतिदोहन पर रोक लगाने के लिए शासन ने सरकारी नलकूप निर्माण पर रोक लगा दी है। साथ ही नि:शुल्क बोरिंग पर भी रोक लगाई गई है। नए ट्यृूबवेल बोरिंग में मिलने वाले अनुदान व नलकूप के विद्युत कनेक्शन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इससे सिंचाई की समस्या के साथ ही पीने के पानी का भी संकट खड़ा हो गया है। हालात से निपटने के लिए महकमे के बड़े अफसर नई योजना बनाने में जुट गए हैं।
भूगर्भ जलस्तर सूबे के तमाम हिस्सों में तेजी से घट रहा है। इसके चलते शासन ने सूबे के 108 ब्लाकों में नि:शुल्क बोरिंग पर रोक लगा दी है। इनमें फतेहपुर जिले के चार ब्लाक शामिल हैं। जिले के अमौली और हथगाम ब्लाक में पहले में पहले से ही नए नलकूप निर्माण पर प्रतिबंध लगा हुआ है, अब दो नये ब्लाक हंसवा और मलवा को भी इसमें शामिल कर लिया गया है। इससे आने वाले दिनों में जिले के इन चारों ब्लाकों में किसानों को सिंचाई की समस्या से जूझना पड़ सकता है। इन ब्लाकों में सरकारी बोरिंग तो पूरी तरह रोकी ही गई है। निजी तौर पर होने वाली नि:शुल्क बोरिंग योजना में लघु किसानों को पांच हजार तथा सीमांत किसानों को सात हजार रुपए तथा अनुसूचित जाति के लाभार्थियों को दस हजार रुपए के अनुदान को भी रोक दिया गया है। जिले में इस बोरिंग की अनुमानित लागत 16 हजार रुपए निर्धारित है। इसके तहत कुआं खोदकर इंजन लगाकर सिंचाई की जाती है। जिसमें भूगर्भ जल के ऊपरी सतह का दोहन अधिक होता है। मध्यम, गहरी बोरिंग के जरिए भूजल का खूब दोहन हो रहा है। यह दोहन सिंचाई के लिए होता है। खास बात यह है कि जिन क्षेत्रों में यह विकट स्थिति पैदा हुई है वहां पर वाटर रिचार्जिंग की व्यवस्था नहीं है। उधर, सहायक अभियंता लघु सिंचाई एके सिन्हा का इस बाबत कहना है कि अभी शासनादेश नहीं आया है लेकिन जिस तरह की स्थिति है उससे न सिर्फ नि:शुल्क बोरिंग बल्कि इन चार ब्लाकों में हर प्रकार की बोरिंग का काम स्थगित होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।