फर्रुखाबाद। नामांकन होने के बाद जीत के लिए बिसात बिछने लगी है। चुनाव मैनेजरों की अगली चिंता बूथ प्रबंधन की है। सियासी दलों के उम्मीदवारों की तो बूथ स्तर तक समितियां बनी हुई हैं। निर्दल उम्मीदवारों के खेमे में भरोसेमंदों की टीम बनाने पर मंथन चल रहा है।
चुनाव में बूथ प्रबंधन नतीजों को पूरी तरह प्रभावित करता है। सियासी दल इस मामले में बोनस में हैं। उनकी कमेटियां बनी हुई हैं। इनकी समस्या दूसरी तरह की है। जिन वार्डों में इनके सभासद के लिए इनके उम्मीदवार नहीं हैं, वहां समर्थन देने के लिए प्रभावशाली उम्मीदवारों पर नजरें टिकाई जा रही हैं। इन्हें सिंबल देने का प्रस्ताव दिया जाएगा। ऐसे में यह अपने साथ ही पार्टी के चेयरमैन पद के उम्मीदवार के लिए भी वोट मांगेंगे। इनका वार्ड में असर होने से मतदान के दिन वोटरों को बूथ तक ले जाने का भी फायदा मिलेगा। प्रतीक आवंटन से पहले इस काम को कर लिए जाने की जिम्मेदारी वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को दी गई है।
निर्दल उम्मीदवारों के लिए बूथ प्रबंधन करना थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है। इसके लिए यह वार्ड में भरोसेमंदों की टीम बनाने के लिए मशक्कत में जुट गए हैं। इनके जिम्मे वार्ड के वोटरों की गतिविधियों पर नजर रखना होगा। यह उनका रूझान भी जानेंगे। इसके लिए मैनेजरों ने सूची बनाने का काम खास लोगों के हवाले किया हुआ है। वार्ड का चुनाव बिना सिंबल के लड़ने वालों को साथ लेने के लिए भी टटोला जा रहा है।
फर्रुखाबाद। नामांकन होने के बाद जीत के लिए बिसात बिछने लगी है। चुनाव मैनेजरों की अगली चिंता बूथ प्रबंधन की है। सियासी दलों के उम्मीदवारों की तो बूथ स्तर तक समितियां बनी हुई हैं। निर्दल उम्मीदवारों के खेमे में भरोसेमंदों की टीम बनाने पर मंथन चल रहा है।
चुनाव में बूथ प्रबंधन नतीजों को पूरी तरह प्रभावित करता है। सियासी दल इस मामले में बोनस में हैं। उनकी कमेटियां बनी हुई हैं। इनकी समस्या दूसरी तरह की है। जिन वार्डों में इनके सभासद के लिए इनके उम्मीदवार नहीं हैं, वहां समर्थन देने के लिए प्रभावशाली उम्मीदवारों पर नजरें टिकाई जा रही हैं। इन्हें सिंबल देने का प्रस्ताव दिया जाएगा। ऐसे में यह अपने साथ ही पार्टी के चेयरमैन पद के उम्मीदवार के लिए भी वोट मांगेंगे। इनका वार्ड में असर होने से मतदान के दिन वोटरों को बूथ तक ले जाने का भी फायदा मिलेगा। प्रतीक आवंटन से पहले इस काम को कर लिए जाने की जिम्मेदारी वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को दी गई है।
निर्दल उम्मीदवारों के लिए बूथ प्रबंधन करना थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है। इसके लिए यह वार्ड में भरोसेमंदों की टीम बनाने के लिए मशक्कत में जुट गए हैं। इनके जिम्मे वार्ड के वोटरों की गतिविधियों पर नजर रखना होगा। यह उनका रूझान भी जानेंगे। इसके लिए मैनेजरों ने सूची बनाने का काम खास लोगों के हवाले किया हुआ है। वार्ड का चुनाव बिना सिंबल के लड़ने वालों को साथ लेने के लिए भी टटोला जा रहा है।