अमृतपुर। बीती रात हमलावरों ने विरोधियों की बस्ती में जो तांडव किया उससे अभी भी पीड़ित सहमे हैं। डर की वजह से वह लोग परिजनों समेत रिश्तेदारियों में पलायन कर गए हैं। गांव में पुलिस फोर्स तैनात होने की जानकारी मिलने के बावजूद उनकी हिम्मत गांव में आने की नहीं हो रही है। वहीं लोगों का कहना है कि पुलिस पहले की मामले को गंभीरता से लेती तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती।
थाना क्षेत्र के गांव कटैला में हुए तांडव की जिम्मेदार कहीं थाना पुलिस तो नहीं है! इसकी चर्चा भी आज गांव में तेजी से होती रही। ग्रामीण दबी जुबान से कह रहे थे कि जिस दिन युवती अधेड़ के साथ फरार हुई थी। उसके अगले दिन युवती के पिता ने मौखिक रुप से थाना पुलिस को जानकारी दी थी लेकिन अपने ढुलमुल रवैये के लिए चर्चित थाना पुलिस ने इस मामले को भी गंभीरता से नहीं लिया, जिसका नतीजा यह हुआ कि हमलावरों ने विरोधियों के यहां जमकर कहर बरपाया।
गांव खाकिन में कथा सुनने गई युवती को 30 मई की रात भगा ले जाने वाले के युवक के खिलाफ युवती के पिता ने लोकलाज के भय से थाना पुलिस को मौखिक शिकायत कर पुत्री को वापस लगाने की गुहार लगाई थी। वह खुद भी पुत्री की तलाश में जुट गया था। लेकिन थाना पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। पुलिस ने न तो द्वारपाल के परिजनों पर दबाव बनाया और न ही युवती को बरामद करने में अन्य कोई कदम उठाया। इधर, युवती का पिता तीन दिन तक बेटी की तलाश करता रहा। उसे यह भी चिंता सता रही थी कि 12 जून को बेटी की बारात आनी है और कहीं यह बात उसके ससुराल तक पहुंच गई तो शादी में भी व्यवधान पड़ सकता है। इधर, धीरे-धीरे बिरादरी में भी यह बात फैली तो लोग युवती के पिता को ताना देने लगे। ग्रामीण दबी जुबान से कहते सुने गए कि अगर पुलिस द्वारपाल के परिजनों पर दबाव डालती तो युवती को बरामद किया जा सकता था।
अगर पुलिस को लड़के के परिजनों से युवती को बरामद करने में कोई मदद नहीं मिल रही थी तो वह पीड़ित पक्ष की गतिविधियों पर तो नजर रख सकती थी, जिससे बीती रात की घटना तो रुक ही सकती थी। लेकिन पुलिस ने ऐसा कुछ भी करना मुनासिब नहीं समझा और नतीजा यह हुआ कि हमलावरों ने इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे डाला। पुलिस की निष्क्रियता इसी से उजागर होती है कि पूरी रात कटैला गांव में तांडव होता रहा और थाना पुलिस को इसकी भनक सुबह उस समय लगी, जब कंट्रोल रुम ने उसे सूचित किया।