फर्रुखाबाद। जिले में सांगठनिक स्तर पर पहले से ही फूट का संकट झेल रही समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय नेतृत्व के बाजार बंद के आहवान पर भी अलग थलग दिखी। कई धड़ों में बंटकर पार्टी नेताओं और उनके समर्थकों ने अपनी-अपनी ढपली बजाई। जिलाध्यक्ष द्वारा गठित कई टीमों से पूर्व जिलाध्यक्ष चंद्रपाल सिंह यादव का खेमा नदारद रहा तो एक अन्य पूर्व जिलाध्यक्ष ने भी बाजार बंद कराने में समर्थकों सहित अपना रास्ता अलग रखा। पार्टी नेताओं की गुटबाजी के चलते ही सम्पूर्ण बाजार बंद का आयोजन अपना आंशिक असर छोड़ पाया जबकि हर किसी ने इसे शत प्रतिशत सफल बताते हुए श्रेय लेने में बिल्कुल कोताही नहीं बरती।
बता दें कि महंगाई और पेट्रोल के दाम में बेतहाशा वृद्धि किए जाने के खिलाफ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने ३१ मई को बाजार बंद का आयोजन कराया था। वरिष्ठ नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ जिलाध्यक्ष राजकुमार सिंह राठौर ने इसे सफल बनाने में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। पूर्व विधायक उर्मिला राजपूत तथा राज्यमंत्री नरेंद्र सिंह यादव के पुत्र सचिन यादव के साथ नगर क्षेत्र में अलग-अलग टीमें बनाकर बंदी को सफल बनाने की कवायद की गई जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोगों को पहले से ही प्रभार दिए जाने के बावजूद वहां टीम नेतृत्व का अभाव रहा। चंद कार्यकर्ताओं ने ही बागडोर संभाल कर बाजार बंद कराने में अपनी ऊर्जा खर्च की। जबकि शहर से लेकर ग्रामीण कस्बों तक बाजार बंदी प्रभावी ढंग से कराने की अपेक्षा लोग अपनी राजनीति चमकाते ही नजर आए। नगर क्षेत्र में भी सचिन यादव, उर्मिला राजपूत, हाल में ही दूसरे दल से कूद कर सत्ता की चासनी चखने के इरादे से सपा खेमे में अपना पांव जमा रहे अहमद अंसारी अपने समर्थकों का हुजूम लेकर बाजारों में पहुंचे और व्यापारियों से संपर्क साधकर दुकानें बंद करने का आग्रह किया। तो कट्टर सपाई कहे जाने वाले रजत क्रांति चंद समर्थकों के साथ एक लोडर वाहन पर सवार होकर क्षेत्र में अपना असर जमाने की कोशिश करते रहे। महानगर कमेटी के अध्यक्ष महताब खां सहित फ्रंटल संगठनों के लोग भी बाजारों में अपना राग अलापते दिखे। सपा जिलाध्यक्ष राजकुमार सिंह राठौर का ही खेमा अहमद अंसारी को तवज्जो दिए जाने के चलते असंतुष्ट रहा और बंद को सफल करवाने में अपनी ताकत झोंकने की बजाए तमाशबीन ही बना रहा।
सपा का एक अन्य धड़ा पूर्व जिलाध्यक्ष चंद्रपाल सिंह यादव के नेतृत्व में जिलाध्यक्ष राजकुमार सिंह राठौर की इस फौज से दूरी बनाए रहा। महानगर समाजवादी पार्टी के बैनर तले चंद्रपाल सिंह यादव सहित उनके गुट ने शहर और ग्रामीण क्षेत्र में पहुंचकर उन दुकानों को बंद कराने की कवायद में जुटा रहा तो पहले ही वहां से निकल चुकी सपा की टीम के जाने के बाद फिर खुल गई थीं। पूर्व जिलाध्यक्ष सतीश दीक्षित और समाजवादी अधिवक्ता सभा की टीम समर्थक भी अलग अलग रास्ते पर चलते हुए बंदी को सफल बनाने में श्रेय लूटते रहे। सपा की इसी गुटबाजी के चलते फर्रुखाबाद में बाजार बंदी अपना आंशिक असर ही छोड़ सकी।