फर्रुखाबाद। सदर नगर पालिका के सदन में तमाम उतार-चढ़ाव आते रहे हैं। वर्ष 2006 के बोर्ड की पहली बैठक में गोलीबारी हुई थी। इस खौफनाक मंजर से सदन को काफी शर्मसार होना पड़ गया था। अब चुनाव आते ही सियासी गलियारों मे इस घटना की चर्चाएं भी जोर मारने लगी हैं।
बात ज्यादा पुरानी नहीं वर्ष 2006 की है। नगर पालिका चुनाव समाप्त होने के बाद 16 दिसंबर को नवगठित बोर्ड की बैठक बुलाई गई थी। एजेंडी सभी सभासदों को भेजकर बैठक की जानकारी दी गई थी। इस लिहाज से जीत के जश्न में डूबे चेयरमैन मनोज अग्रवाल के अलावा 37 वार्डों से चुने गए सभासद कारवां की शक्ल में यहां पहुंचे थे और काफी खुश थे।
कई असलहधारी समर्थक भी उनके साथ आए थे। कोई कंधे पर राइफल टांगे था तो कोई कमर में पिस्टल खोसे था। जैसे ही सदन की कार्रवाई का आगाज हुआ और 15 लाख की लागत से 200 सोडियम लाइटें खरीदने का प्रस्ताव पढ़ा जाने लगा तो पहली बार चुनकर सदन में पहुंचे रफी अंसारी ने चर्चा कराने पर जोर देते हुए आपत्ति कर दी थी।
इस वक्त तक सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष की तस्वीर साफ नहीं थी। इसके बावजूद चेयरमैन मनोज अग्रवाल के चुनाव में सहयोगी रहे सभासदों ने रफी पर कटाक्ष कर दिया, जिससे माहौल गरमा गया। सदन के अंदर असलहे लहराए जाने लगे और गोलियों की आवाजें गूंजने लगीं, जिससे टाउनहाल पर भगदड़ मच गई। सदन की बैठक में भाग लेने आईं महिला सभासदों का डर के मारे बुरा हाल हो गया था। इस शर्मनाक घटना के बाद छह माह तक बैठक न हो सकी और जब 4 जून वर्ष 2007 को बैठक बुलाई गई तो सदन का नजारा ही बदल गया और जिस प्रस्ताव पर यह घटना हुई थी।
उसी प्रस्ताव को रफी अंसारी ने सबसे पहले स्वीकृत करने की आवाज उठाई और कार्यकाल के अंत तक सदन में चेयरमैन का काफी दबदबा रहा। अब फिर से पालिका के चुनाव की गतिविधियां तेजी से जारी हैं। ऐसे में गोलीबारी की घटना एक बार पुनः लोगों की जुबान से सुनी जा रही है।