{"_id":"79505","slug":"Farrukhabad-79505-34","type":"story","status":"publish","title_hn":"जर्जर इमारत में कबाड़खाने का नाम है पालिका दफ्तर ","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
फर्रुखाबाद। नगर पालिका परिषद फर्रुखाबाद का खंडहर भवन और उसके भीतर का कबाड़खाना नई चेयरमैन को विरासत में मिलेगा। नागरिक सुविधाएं मुहैया कराने के लिए ब्रिटिश काल में बनी आलीशान इमारत को संजोए रखने पर ही अब तक ध्यान नहीं दिया गया। शहर की हालत तो दूर अब तक के अध्यक्षों में कोई दफ्तर को ही नहीं संभाल पाया। जबकि पालिका अध्यक्ष के दफ्तर में रखी ऐतिहासिक कुर्सी हथियाने की जंग एक बार फिर महिलाओं के बीच छिड़ गई है। तिल-तिल कर मर रही इसी जर्जर इमारत में ही नई प्रधान जी को बैठकर नगर क्षेत्र को चमकाना होगा। फिलहाल खोखली छत और दीवारों पर ही रंग रोगन करके लकदक बना दिया गया नगर पालिका परिषद फर्रुखाबाद का कार्यालय मैडम के लिए हाजिर है।
सन 1857 में फर्रुखाबाद पर कब्जा करने के बाद आखिरी वंगश नवाब तफज्जुल हुसैन खां को मुल्क से बेदखल कर ब्रिटिश हुकूमत ने उनके विरासती महल को तोप के गोलों से उड़ाकर 1868 में उक्त टीले पर सरकारी कामकाज के लिए आलीशान भवन का निर्माण करा दिया था। इसके बाद सन 1916 में जब नागरिक सुविधाएं मुहैया कराने के लिए नगर पालिका का गठन हुआ उस वक्त अंग्रेज सरकार ने इसी भवन को नगर पालिका परिषद के नाम से कायम कर दिया। तब से लेकर अभी तक 15 लोग नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान हुए लेकिन खंडहर में तब्दील हो चुकी इस सरकारी इमारत की देखरेख के लिए माननीयों ने क्या कदम उठाए यह बताने की शायद आवश्यकता नहीं।
फर्रुखाबाद में सबसे ऊंचे टीले पर काबिज नगर पालिका परिषद की बदहाली अपनी असलियत खुद बयां कर रही है। मुख्य द्वार की तरफ से बाईं ओर का लगभग पूरा हिस्सा ही खंडहर हो गया है। बचे हुए दो चार कमरों में कर विभाग, लेखा विभाग और जलकल विभाग के कर्मचारी बैठते हैं तो उनकी धड़कन सामान्य से दोगुनी रफ्तार पकड़ लेती है। दाईं ओर वाले भवन के हिस्से में नगर पालिका अध्यक्ष, अधिशाषी अधिकारी का कार्यालय है। दो बड़े हाल हैं। रिकार्ड रूम भी उधर ही है। लकड़ी की मेज कुर्सियां ऐसी हालत में हैं जिनकी वर्षों से मरम्मत नहीं करवाई गई। दीवारें मोटी-मोटी तो सिर्फ देखने के लिए हैं। स्थिति ढोल में पोल वाली है। दीवारों के अलावा छतों का प्लास्टर भी बिना भूकंप के झड़ता रहता है। मेज पर छत से टूटा टुकड़ा गिरा तो कर्मचारी उठकर भागते हैं। फर्श भी टूटी फूटी है। लकड़ी की आलमारियां दीमक चट कर रहे हैं। वहीं वाटर वर्क्स की तरफ गोदाम में रखे सफाई उपकरणों की हालत ऐसी है जिसे कबाड़खाना ही कहा जा सकता है। पार्क हरियाली नहीं उजड़े चमन की तस्वीर पेश कर रहा है, बच्चों के झूले भी लगभग पहचान के लिए ही बचे हैं। एक घूंट पानी के लिए नगर पालिका कर्मचारियों या वहां पहुंचने वाले नागरिकों को तीस फुट नीचे जाना पड़ता है। अगस्त में नई अध्यक्ष को यही बदहाली विरासत में मिलेगी। दमयंती सिंह हालांकि कुर्सी को लगातार दो पंच वर्षीय योजना तक संभाल चुकी हैं और वे नगर पालिका कार्यालय तथा भवन के हर एक चप्पे से वाकिफ हैं। इस बार भी उनके चुनाव मैदान में आने की उम्मीद जताई जा रही है। अन्य महिला उम्मीदवार नए चेहरे के रूप में हैं। जिनके लिए टूट कर बिखर रही इस विरासत को संभालना थोड़ा मुश्किल काम होगा।
विज्ञापन
विज्ञापन
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
विज्ञापन
विज्ञापन
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
अतिरिक्त ₹50 छूट सालाना सब्सक्रिप्शन पर
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।