कंपिल। कपिल मुनिके नाम पर बसी धर्मनगरी कंपिल की हालत कटरी के गांव से भी बदतर हो रही है। यहां के लोग समस्याओं को लेकर परेशान हैं। टूटी सड़कें, बजबजाती नालियां, दूषित पेयजल, शिक्षा व चिकित्सा के घोर अभाव, बदहाल परिवहन व्यवस्था, अतिक्रमण करके बने मकान इस धर्मनगरी को परिभाषित करते हैं। यही नहीं लोगों ने यहां के धार्मिक स्थलों को भी नहीं बख्शा। कोई मंदिर, मठ पर कब्जा किए है तो कई जातीय राजनीति का फायदा उठाकर धार्मिक स्थलों पर कब्जे जमाए हैं। अपने आंचल में चारों युगों की धरोहरों को समेटे धर्मनगरी कंपिल में समस्याओं का अंबार है। जिन समस्याओं से ऊबकर लोग कटरी से निकल कर यहां पहुंचे थे। उन्हीं समस्याओं ने यहां भी घेर लिया। मजबूरी है कि लाखों रूपए खर्च कर अब वह यहां से निकल नहीं सकते। नगर में बसे अधिकांश लोग अशिक्षित, मजदूरी व खेतीबाड़ी से जुडे़ हैं।
एक दशक पूर्व कंपिल की शान रही कताई मिल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। सामुदायिक स्वास्थ केंद्र है लेकिन डाक्टरों के अभाव में कोमा में है। जिला मुख्यालय या देश के किसी हिस्से में जाना है तो कम से कम कायमगंज तक का सफर आपको खटारा टैंपो व तांगे से करना ही होगा। शिक्षा के लिए इंटर कालेज सहित दो-तीन मांटेसरी स्कूल हैं। मजबूरी में अभिभावकों को तीन गुना पैसा खर्च कर बच्चों को पढ़ने के लिए कायमगंज भेजना पड़ता है।
नगर के सुंदरीकरण पर नगर प्रशासन कितना ध्यान देता है, इसकी बानगी एक मात्र शिवानी पार्क है। यह पार्क पूरी तरह उजड़ चुका है। नगर क्षेत्र में हरियाली तो ढूंढे नहीं मिलेगी। वन विभाग के गमले भी कहीं दिखाई नहीं देते हैं। सुलभ शौचालय हैं. लेकिन वह व्यवसायिक बन चुके हैं। शौचालय को दुकानों में तब्दील कर लोगों ने कब्जा कर लिया है। तीस हजार की आबादी पर सामूहिक बारात घर या कम्युनिटी हाल होना चाहिए। लेकिन इसके लिए जगह ही नहीं बची है। नगर पंचायत की जगहों पर वोटों की राजनीति करने वाले खिलाड़ियों ने पक्के आवास बनवाकर अतिक्रमण कर लिया। नगर प्रशासन ऐसे लोगों के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सकी है। इससे अतिक्रमण का सिलसिला निरंतर जारी है।
नगर में पानी की निकासी की व्यवस्था भी ठीक नहीं है। ज्यादातर नाले चोक पडे हैं। इससे गंदगी व सड़न में और इजाफा होता है। नगर की अधिकांश नालियां बजबजा रही हैं। सड़कों की सफाई की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। करीब दो दर्जन दैनिक वेतन भोगी सफाईकर्मी नाम मात्र की ही सफाई कर पाते हैं। मकानों के सामने कई-कई दिन कूडे़ के ढेर लगे रहते हैं। नगर प्रशासन का ज्यादातर ध्यान सड़कों के निर्माण पर रहता है। लेकिन सभी प्रमुख सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। मुख्य सड़क भी जगह जगह से उखड़ चुकी है। सड़कों के गड्ढे आए दिन दुर्घटना का कारण बनते हैं। पेयजल के लिए दो वाटर टैंक व चार ट्यूबवेल हैं। इनमें से एक दस वर्ष से खराब पड़ा है। पूर्व में तीन बार पानी की आपूर्ति की जाती थी। लेकिन अब सुबह ही आपूर्ति हो पाती है। वह भी थोडे समय के लिए। अधिकांश मोहल्लों में पानी न पहुंचने व बदबूदार पानी की शिकायतें हैं। नगर के अधिकांश स्टैंड पोस्टों पर असरदार लोगों का कब्जा है। हैंडपंप पेयजल समस्या को किसी सीमा तक कम करते हैं। जर्जर लाइनों के चलते बिजली आपूर्ति की व्यवस्था खराब है। ओवर लोडिंग के चलते ट्रांसफार्मर बार-बार फुंकते हैं। इसके लिए लोगों ने कई बार जर्जर लाइनों की जगह केबिल डलवाने गंगा मोहल्ले में एक नए ट्रांसफार्मर की व्यवस्था व कंपिल टाउन फीडर अलग किए जाने की मांग की। लेकिन हुआ कुछ नहीं। इससे बामुश्किल चार पांच घंटे ही बिजली मिल पाती है। प्रमुख स्थानों पर लोगों ने खोखे रखकर अतिक्रमण कर लिया है। यही नहीं विश्रांत घाटों पर लोगों ने तंबाकू आदि रखकर कब्जा कर लिया है। घाट के आगे बने कुंड पर भी लोगों की नजर हैं। उसे धीरे-धीरे काटा जा रहा है। इससे उस पर कब्जा किया जा सके। लोगों की मांग है कि कंपिल के समग्र विकास के लिए उसे तीर्थ नगरी का दर्जा दिया जाए।