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कहीं डाक्टर नहीं तो कहीं अस्पताल बंद
Farrukhabad
Updated Wed, 30 May 2012 12:00 PM IST
अमृतपुर। तहसील मुख्यालय का अस्पताल होने के बावजूद भी डाक्टर नहीं हैं। यहां की चिकित्सा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। तहसील मुख्यालय के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की दशा यह है कि पूर्व में तैनात डा. गौरव वर्मा की संविदा 31 मार्च को खत्म होने के बावजूद अभी तक अस्पताल में किसी भी डाक्टर की तैनाती नहीं की गई है, जिसके चलते बगैर डाक्टर के ही अस्पताल चल रहा है। आर्युवैदिक फार्मासिस्ट रामकृष्ण मिश्रा के सहारे ही अस्पताल चल रहा है। तहसील मुख्यालय का अस्पताल होने के बावजूद मुख्य चिकित्साधिकारी डाक्टर की तैनाती किए जाने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं। अस्पताल में तैनात एकमात्र एएनएम माधुरी शुक्ला के पास क्षेत्र की भी जिम्मेदारी है, जिस वजह से वह भी अस्पताल में समय नहीं दे पा रही है। इस समय तो वह लंबे अवकाश पर चल रही है, जिस वजह से बच्चों का टीकाकरण भी नहीं हो पा रहा है। टीबी के मरीजों को भी दवा नहीं मिल रही है। एलोपैथिक का कोई डाक्टर और फार्मासिस्ट तैनात नहीं है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिथनापुर का भी यही हाल है। सालों से इस अस्पताल में डाक्टरों की तैनाती नहीं की गई। इसी तरह कटरी में ग्रामीणों को चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराए जाने के लिए गांव किराचन में होमियोपैथिक अस्पताल खोला गया था लेकिन यहां भी डाक्टर और कर्मचारियों के न आने से यह अस्पताल भी बंद चल रहा है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. कमलेश कुमार ने बताया कि जिले में 90 डाक्टरों की जरूरत है।
अमृतपुर। तहसील मुख्यालय का अस्पताल होने के बावजूद भी डाक्टर नहीं हैं। यहां की चिकित्सा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। तहसील मुख्यालय के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की दशा यह है कि पूर्व में तैनात डा. गौरव वर्मा की संविदा 31 मार्च को खत्म होने के बावजूद अभी तक अस्पताल में किसी भी डाक्टर की तैनाती नहीं की गई है, जिसके चलते बगैर डाक्टर के ही अस्पताल चल रहा है। आर्युवैदिक फार्मासिस्ट रामकृष्ण मिश्रा के सहारे ही अस्पताल चल रहा है। तहसील मुख्यालय का अस्पताल होने के बावजूद मुख्य चिकित्साधिकारी डाक्टर की तैनाती किए जाने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं। अस्पताल में तैनात एकमात्र एएनएम माधुरी शुक्ला के पास क्षेत्र की भी जिम्मेदारी है, जिस वजह से वह भी अस्पताल में समय नहीं दे पा रही है। इस समय तो वह लंबे अवकाश पर चल रही है, जिस वजह से बच्चों का टीकाकरण भी नहीं हो पा रहा है। टीबी के मरीजों को भी दवा नहीं मिल रही है। एलोपैथिक का कोई डाक्टर और फार्मासिस्ट तैनात नहीं है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिथनापुर का भी यही हाल है। सालों से इस अस्पताल में डाक्टरों की तैनाती नहीं की गई। इसी तरह कटरी में ग्रामीणों को चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराए जाने के लिए गांव किराचन में होमियोपैथिक अस्पताल खोला गया था लेकिन यहां भी डाक्टर और कर्मचारियों के न आने से यह अस्पताल भी बंद चल रहा है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. कमलेश कुमार ने बताया कि जिले में 90 डाक्टरों की जरूरत है।