फर्रुखाबाद। गंगा व रामगंगा नदी पर जून महीने की आखिरी तक परकोपाइन बनने का काम पूरा होना मुश्किल हो चला है। धन आवंटन न होने से अभी तक निर्माण कार्य शुरू हो पाने की नौबत ही नहीं बन पाई है। इनके टेंडर निकाले जा चुके हैं। अब सिंचाई विभाग ने पूरी योजना के बजाय बाढ़ के संवेदनशील इलाकों को निशाने पर लिया है। इसके लिए ढाई करोड़ रुपए की तत्काल मांग की गई है।
बरसात में रामगंगा की बाढ़ से तबाह होने वाले गांवों के किनारे 14 व गंगा की बाढ़ से बर्बाद होने वाले 16 गांवों के किनारे परकोपाइन बनने हैं। यह परियोजना 10 करोड़ 94 लाख से पूरी होनी है। इसके लिए 11 मई को टेंडर हो चुके हैं। रामगंगा के किनारे बनने वाले परकोपाइन के लिए केंद्रीय जल आयोग पटना व गंगा के किनारे बनने वाले परकोपाइन के लिए सिंचाई विभाग रकम देगा। अभी तक कहीं से भी धन आवंटित नहीं हो पाया है।
इससे सिंचाई विभाग के हाथ पांव फूलने लगे हैं अब पूरी योजना से ध्यान हटाकर विभाग ने बाढ़ के संवेदनशील इलाकों पर ध्यान लगाना शुरू कर दिया है।
विभाग के अधिशासी अभियंता आरआर वर्मा ने द्वितीय मंडल सिंचाई कार्य कानपुर के अधीक्षण अभियंता रणवीर सिंह को चिट्ठी भेजी है। उन्होंने बरसात से पहले संवेदनशील इलाकों में योजना के लिए ढाई करोड़ मांगा है। संवेदनशील इलाकों में अमृतपुर तहसील में रामगंगा नदी के दाएं किनारे पर कड़क्का तटबंध नहरैया, खड़गपुर शामिल हैं। निकवी, खंडौली, नौसेरा के सामने पाइलट चैनल के नीचे परकोपाइन स्क्रीन न बने तो बरसात में समस्या बनेगी। महौली ग्राम से रामगंगा नदी की मुख्य धारा से निकलने वाली धारा को मोड़ने के लिए परकोपाइन डायवर्जन को जरूरी माना गया है।
सूबे की सरकार ने बाढ़ से गांवों को बचाने की योजनाओं को प्राथमिकता पर रखा हुआ है। परकोपाइन को जून महीने के अंत तक बन जाना था। ताजा हालातों में तय समय तक योजना सिरे चढ़ते नहीं लग रही है। बरसात से पहले काम पूरा नहीं हो पाया तो कई गांव तबाह हो जाएंगे।