राजेपुर। रामगंगा नदी किनारे तटबंध बनाने में विभागीय टालमटोल के खिलाफ भाकियू नेताओं के आमरण अनशन को चौथा दिन बीत गया है लेकिन मौके पर निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। अनशनकारियों की संख्या तीन से बढ़कर छह हो गई है। जिनमें पहले से बैठे तीन लोगों के स्वास्थ्य में गिरावट भी आने लगी है। उनका कहना है कि या तो काम फौरन शुरू करवाया जाए या फिर जिलाधिकारी खुद यह आश्वासन दें कि एक सप्ताह में काम शुरू करवाएंगे। सोमवार को पहुंचे उपजिलाधिकारी के मौखिक आश्वासन को अनशनकारियों ने ठुकरा दिया।
बाढ़ से खतरे वाले गांव खरगपुर और नहरिया में रामगंगा नदी किनारे तटबंध बनाए जाने की मांग पर भाकियू ब्लाक अध्यक्ष विजयवीर सिंह, तहसील प्रभारी महेंद्र सिंह और इंद्रेश पाल शाक्य का आमरण अनशन 18 मई से चल रहा है। तीनों ही लोग भूख हड़ताल किए बैठे हैं जबकि करीब आधा सैकड़ा लोग क्रमिक अनशन पर हैं। क्षेत्रीय लोगों का इन्हें व्यापक समर्थन मिल रहा है।
सोमवार को आमरण अनशन पर शैलेष अग्निहोत्री, राम प्रकाश शुक्ला और रमेश सिंह भी बैठ गए। संख्या बल बढ़ने से जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया है लेकिन अनशनकारियों की मांग पर आश्वासन अभी मूर्त रूप नहीं ले सका है। सोमवार को पहुंचे उप जिलाधिकारी अरुण कुमार ने आमरण अनशनकारियों से वार्ता की। कहा कि तटबंध बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है इसलिए अनशन को समाप्त कर दें। लेकिन विजय वीर सिंह और महेंद्र सिंह भाकियू के जिला प्रभारी राममोहन दीक्षित और मंडल महासचिव श्री प्रकाश वाजपेई ने कहा कि शासन से दस करोड़ 94 लाख 70 हजार रुपए का बजट स्वीकृत होकर जिले के सिंचाई विभाग को प्राप्त हो चुका है इसके बाद भी तटबंध निर्माण में टाल मटोल किया जा रहा है और बरसात के दिन निकट आ रहे हैं। ऐसे में गांव पर खतरा फिर आ जाएगा तो शासन से मिले पैसे का क्या मतलब रह जाएगा।
आमरण अनशनकारियों की उप जिलाधिकारी से वार्ता करीब दो घंटे तक होती रही। गांव की तमाम अन्य समस्याओं पर भी उसी दौरान विचार विमर्श हुआ। राम मोहन दीक्षित ने एसडीएम से हुई वार्ता को ठुकराते हुए कहा कि या तो तटबंध बनाने का काम तत्काल शुरू करवाया जाए या फिर जिलाधिकारी मौके पर आकर यह आश्वासन दें कि निर्माण कार्य एक सप्ताह में शुरू करवा दिया जाएगा। जिलाधिकारी के आश्वासन पर ही आमरण अनशन स्थगित होगा। वार्ता विफल होते देख उप जिलाधिकारी यह कहते हुए वहां से चले गए कि जिलाधिकारी तक अनशनकारियों की यह बात पहुंचाएंगे।
सोमवार को हुई वार्ता के दौरान गांव के दर्जनों अन्य लोग भी मौजूद रहे। उधर आमरण अनशनकारियों का स्वास्थ्य परीक्षण करने चार दिनों से कोई डाक्टर भी नहीं भेजा गया अलबत्ता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से सोमवार को एक फार्मासिस्ट पहुंचा और ब्लड प्रेशर की जांच करने के बाद दर्द निवारक दवाएं देकर लौट गया।