फर्रुखाबाद। शहर के नागरिकों को सुविधाएं देने के नाम पर टैक्स लेने वाली नगर पालिका खुद टैक्स के प्रति गंभीर नहीं है। नए डीएम के आदेश पर स्वकर निर्धारण प्रणाली के जरिए टैक्स का निर्धारण करने की जो प्रक्रिया हाल में शुरू की गई थी, वह सिर्फ हवाई और कागजी थी और चुनाव के बहाने उस प्रक्रिया को रोक दिया, जो शुरू ही नहीं हुई।
पालिका अफसरों की करतूत से पालिका को हर साल पांच करोड़ की चपत लग रही है और जनसुविधाओं के नाम पर पालिका के कर्मचारी और अफसर इस बहाने निठल्ले बैठना ही पसंद करते हैं, क्योंकि इनका वेतन का सारा पैसा प्रदेश सरकार हर महीने जारी ही करती है। नगर पालिका प्रशासन की आय का मुख्य स्रोत शहरी क्षेत्र में बने भवनों से गृहकर और जलकर माने जाते हैं। करीब 40 वर्ष पहले लागू इन करों से प्रशासन को साल भर में 25 लाख रुपए वसूल हो पाते हैं, जबकि विभाग में तैनात कर्मचारियों पर 75 लाख रुपए से अधिक वेतन पर खर्च हो रहे हैं। हालांकि शहरवासी अपने भवनों का टैक्स अदा करना चाहते हैं। कर विभाग ऐसे तमाम लोग रोजना नामांतरण और कर निर्धारण के लिए लाइन लगाते हैं। जिलाधिकारी ने बीते दिनों पालिका ईओ से हाउस टैक्स लागू करने के कड़े आदेश दिए थे। तब उन्हें बताया गया था कि स्वकर प्रणाली के फार्म घर-घर जाकर बांटे जा रहे हैं। लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। न तो कहीं फार्म बांटे गए और न ही जनजागरण के लिए कोई कदम बढ़ाया गया। कर अधीक्षक रामकिशोर कमल की मानें तो सातनपुर क्षेत्र के 200 भवनों का कर निर्धारण किया जा चुका है। करीब 200 भवन स्वामियों ने औरआवेदन किया है।
फर्रुखाबाद। शहर के नागरिकों को सुविधाएं देने के नाम पर टैक्स लेने वाली नगर पालिका खुद टैक्स के प्रति गंभीर नहीं है। नए डीएम के आदेश पर स्वकर निर्धारण प्रणाली के जरिए टैक्स का निर्धारण करने की जो प्रक्रिया हाल में शुरू की गई थी, वह सिर्फ हवाई और कागजी थी और चुनाव के बहाने उस प्रक्रिया को रोक दिया, जो शुरू ही नहीं हुई।
पालिका अफसरों की करतूत से पालिका को हर साल पांच करोड़ की चपत लग रही है और जनसुविधाओं के नाम पर पालिका के कर्मचारी और अफसर इस बहाने निठल्ले बैठना ही पसंद करते हैं, क्योंकि इनका वेतन का सारा पैसा प्रदेश सरकार हर महीने जारी ही करती है। नगर पालिका प्रशासन की आय का मुख्य स्रोत शहरी क्षेत्र में बने भवनों से गृहकर और जलकर माने जाते हैं। करीब 40 वर्ष पहले लागू इन करों से प्रशासन को साल भर में 25 लाख रुपए वसूल हो पाते हैं, जबकि विभाग में तैनात कर्मचारियों पर 75 लाख रुपए से अधिक वेतन पर खर्च हो रहे हैं। हालांकि शहरवासी अपने भवनों का टैक्स अदा करना चाहते हैं। कर विभाग ऐसे तमाम लोग रोजना नामांतरण और कर निर्धारण के लिए लाइन लगाते हैं। जिलाधिकारी ने बीते दिनों पालिका ईओ से हाउस टैक्स लागू करने के कड़े आदेश दिए थे। तब उन्हें बताया गया था कि स्वकर प्रणाली के फार्म घर-घर जाकर बांटे जा रहे हैं। लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। न तो कहीं फार्म बांटे गए और न ही जनजागरण के लिए कोई कदम बढ़ाया गया। कर अधीक्षक रामकिशोर कमल की मानें तो सातनपुर क्षेत्र के 200 भवनों का कर निर्धारण किया जा चुका है। करीब 200 भवन स्वामियों ने औरआवेदन किया है।