{"_id":"76363","slug":"Farrukhabad-76363-34","type":"story","status":"publish","title_hn":"बगदाद के बादशाह की मजार पर झुके सिर","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
फर्रुखाबाद। गंगा-जमुनी तहजीब की प्रतीक ऐतिहासिक दरगाह में शेख मखदूम बुर्राक लंगर जहां के उर्स व मेले में अपार जनसमूह उमड़ा। दरगाह पहुंचकर अकीदतमंदों ने मजार पर हाजिरी दी और चादरपोशी की रस्म अदा कर मुरादें मांगीं। सैकड़ों छड़ीबाज ले चल पीर की सदाओं के बीच सज्जादा नशीन का डोला लेकर दरगाह पहुंचे। इस अवसर पर उमड़ी भीड़ के कारण चौतरफा सड़कें और गांव की गलियां तंग पड़ गईं। उर्स में जनपद के अलावा कानपुर, मैनपुरी, फिरोजाबाद से भी लोग जियारत करने यहां पहुंचे। उमड़ी भीड़ नियंत्रित करने को मेला प्रबंध समिति ने चाक-चौबंद व्यवस्था की थी।
शेखपुर स्थित दरगाह में शेख मखदूम बुर्राक के 4 मई से चल रहे 688वें उर्स के आखिरी दिन विशाल मेला लगा। शेख मखदूम बुर्राक ईराक की राजधानी बगदाद में 1181 ई. में पैदा हुए और बादशाहत उन्हें विरासत में मिली थी। लेकिन उन्हें बादशाहत के बजाए फकीरी पसंद आई। उन्होंने राजगद्दी को छोड़कर रुहानी जिंदगी को अपनाना बेहतर समझा और दुनिया के कई देशों का भ्रमण करते हुए भारत आ पहुंचे। यहां भी उन्होंने सूफीसंतों की संगत में काफी समय गुजारा और खुदा की तलाश में गंगा नदी के किनारे भोजपुर की ऐतिहासिक नगरी में डेरा डालकर लोगों को इंसानियत का पैगाम पहुंचाने में लीन हो गए और अब से 688 साल पहले 1350 ईं में दुनिया से रूख्सत हो गए। तभी से उनकी याद में लगातार उर्स मेले का आयोजन किया जा रहा है। गुरूवार की सुबह लालिमा फूटने से पहले लोगों का दरगाह पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। दोपहर दो बजे दरगाह के अकबरी गेट से छड़ीबाज खिरका शरीफ (पैगंबरे इस्लाम का लिवास) लेकर भोजपुर की ओर रवाना हुए। इससे पहले मेला कमेटी के सदस्य हाफिज खुर्शीद आलम ने छड़ीबाजों को संयमित रहने और अनुशासन का सबक पढ़ाया और रास्ता साफ करने के लिए अलर्ट जारी किया।
छड़ीबाज बेकाबू न हों, पुलिसबल को भी चौकन्ना कर दिया गया। भोजपुर चिल्लाहगाह में सज्जादा नशीन को खिरका शरीफ पहनाया गया। पैगंबरे इस्लाम का लिवास पहनते ही सज्जादा नशीन मूर्छित हो गए और बेहोशी की हालत में डोले पर लिटाकर नंगे पैर हाथ में लाठीडंडे लहराते हुए ले चल पीर की सदाओं के बीच करीब चार बजे दरगाह पहुंचे। जहां सज्जादा नशीन को दरगाह का तवाफ (परिक्रमा) कराया गया और लतीफ कमालगंजवी ने फारसी भाषा में रुबाई पढ़ी, जिसे सुनते ही सज्जादा नशीन अजीजुल हक गालिब मियां को होश आ गया। इसके बाद शेख मखदूम का कुलफातिहा संपन्न हुआ, जिसमें सज्जादा नशीन ने मुल्क की तरक्की व खुशहाली की हाथ फैलाकर खुदा से दुआ मांगी। उर्स में कानपुर से असगर अली, फिरोजाबाद से फरीद अहमद, इकराबानो, मैनपुरी से मोहम्मद शहजाद, अलीगढ़ से जीशान, फैजान, रियाज अहमद आदि परिवार के साथ निजी वाहनों से जियारत करने आए थे। बिल्लू श्रीवास्तव, मौलान मजहर आलम, डा. बब्लू, डा. अनुपम दुबे, मौलाना एहसानुल हक, मौलाना मोवीन नूरी, तरीक अहमद, हाफिज यार मोहम्मद, राज्य अतिथि का दर्जा प्राप्त इदरीश निजामी, लव यादव, कमालगंज ब्लाक प्रमुख राशिद जमाल सिद्दीकी, जिला पंचायत अध्यक्ष तहसीन सिद्दीकी, सपा जिलाध्यक्ष राजकुमार सिंह राठौर आदि मौजूद रहे।
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