{"_id":"74954","slug":"Farrukhabad-74954-34","type":"story","status":"publish","title_hn":"दिल्ली, महाबली, गली और अब मुर्गा-मेंढक !","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
फर्रुखाबाद। यहां मुर्गा बांग नहीं देता और मेढक टर्र-टर्र नहीं करता। क्यों चौंक गए न! लेकिन शहर के एक सटोरिये ने एक नया सट्टा ईजाद कर उसे नाम दिया है मुर्गा, मेंढक सट्टा। यह सटोरिया मुर्गा, मेंढक के नाम से सट्टा का चौथा प्रारूप तैयार कर रोजाना हजारों के दांव लगवा रहा है। देर रात तक नौजवानों की भीड़ दांव लगाने के लिए उमड़ती है। इस नए खेल को पुलिस के लिए नई चुनौती इसलिए नहीं का जा सकता है कि पुलिस ने सट्टा को रोकने के लिए कोई ठोस इंतजाम किए ही नहीं हैं। इस नए सट्टे का खेल पूरे शहर में फैलने में देर नहीं लगेगी। इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
शहर में तीन बार सट्टा खुलता है। सुबह 6 बजे दिल्ली, शाम 6 बजे महाबली और रात 8 बजे गली सट्टा खुलता है। पुलिस इस सट्टा के खेल को अभी बंद नहीं करा पाई थी कि इस सटोरिए ने चौथा सट्टा भी शुरू कर दिया है। इसका नाम भी आप सुनेंगे तो दंग रह जाएंगे। मुर्गा, मेढक सट्टा के नाम से देर रात तक चलने वाले इस सट्टे में युवा से लेकर बुजुर्ग तक रोजाना हजारों के दांव लगा रहे हैं। इस सट्टे की खास बात यह है कि यह न तो ऊपर उतारा जाता है और न ही इसके लिए पुलिस को कुछ देना पड़ता है। कुछ दिनों पहले शुरू हुए इस नए सट्टे की खाईबाड़ी से यह सटोरिया लाखों रुपए कमा चुका है। शहर के रेलवे रोड सिल्वर साइन सिनेमा के सामने वाली गली में स्थित मोहल्ला गढ़ी नवाब न्यामत खां पूर्व निवासी एक सटोरिये ने मोहल्ले में ही किराए की दुकान लेकर मुर्गा, मेंढक के नाम से नया सट्टा खिलाना शुरू कर दिया है।
कुछ दिनों पहले शुरू किए गए इस नए खेल से दिन में तीन बार सट्टा की खाईबाड़ी करने वाले सटोरियों को जब दिक्कत हुई तो इस बात पर उसे खाईबाड़ी करने की इजाजत दी गई कि रात को खुलने वाले सट्टा गली की खबर आने के बाद वह मुर्गा सट्टा की बुकिंग शुरू करेगा। इस पर वह राजी हो गया। रात 7 बजते ही सट्टे के इस नए खेल में बाजी लगाने के लिए ग्राहकों की भीड़ उमड़ने लगती है।
इस सट्टे का फंडा बिल्कुल बच्चों के ईनाम रूपी पोस्टर के खेल जैसा है। पोस्टर पर मुर्गा, मेढक, मछली आदि के चित्र छपे हैं। इन चित्रों पर ग्राहक रुपए रखता है। इसके बाद सटोरिया अपने हाथ से पोस्टर में लगी पर्ची खींचता है। मुर्गा, मेढक सट्टा खेलने वालों की लाइन रात 12 बजे तक रहती है।
सबसे अहम बात तो यह है कि इस सट्टे में ग्राहक को नंबर आने का इंतजार नहीं करना पड़ता है। इधर पर्ची खुली और उधर हार-जीत का फैसला सामने। मुर्गा-मेंढक सट्टा का पोस्टर सटोरिया कहां से लाता है। इसके बारे में जब जानकारी की गई तो पता चला कि यह पोस्टर वह गुरसहायगंज से लेकर आता है।
मोहल्ले के कुछ लोगों ने तो यहां तक बताया कि कल तक कर्जे में डूबा यह सटोरिया इस नए सट्टे की बदौलत लाखों रुपए का मकान भी बनवा रहा है। इस नए सट्टे से साफ लगता है कि पुलिस सट्टा को बंद करवाने में चाहे कितना भी एड़ी-चोटी का जोर लगा ले लेकिन कामयाबी मिलने में संदेह लग रहा है।
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