लोहिया अस्पताल के एनआरसी वार्ड की हालत ठीक नहीं है। रात को वहां डाक्टर नहीं मिलते हैं। इसके चलते अक्सर मरीजों को रात को वापस कर दिया जाता है। शुक्रवार रात को एक महिला अपनी बेटी के दो माह के कुपोषित बेटे को लेकर पहुंची। लेकिन वहां उसे भर्ती नहीं किया गया। बाद में सीएमएस के कहने पर उसे इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया।
कुपोषित बच्चों को बेहतर इलाज मिल सके इसके लिए लोहिया अस्पताल में एनआरसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) बना है। लेकिन इस वार्ड की हालत ठीक नहीं है। शुक्रवार रात करीब साढ़े आठ बजे कायमगंज निवासी रवि कुमार अपनी सास विनोदा देवी के साथ अपने दो माह के कुपोषित बच्चे को लेकर लोहिया अस्पताल के एनआरसी वार्ड में पहुंचा।
वहां मौजूद नर्स ने वार्ड में जगह न होने की बात कहकर बच्चे को इमरजेंसी कक्ष में ले जाने को कह दिया। इस पर वह इमरजेंसी में बच्चे को लेकर पहुंचे। वहां डाक्टर ने बाल रोग विशेषज्ञ न होने की बात कहकर वापस एनआरसी में ले जाने को कहा, इस पर वह बच्चे को एनआरसी में ले गए।
लेकिन वहां उसकी एक नहीं सुनी गई। इससे थक हारकर वह इमरजेंसी कक्ष के बाहर बैठ गए। वहां मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि 22 मई की रात भी एक कुपोषित बच्चा आया था, उसे भी एनआरसी वार्ड में भर्ती नहीं किया गया। कहा कि रात को वहां डाक्टर नहीं रहते हैं।
मौजूद नर्स व अन्य स्वास्थ्य कर्मी आने वाले मरीजों को बहाने बनाकर टरका देते हैं। सीएमएस डा. एसपी सिंह ने बताया कि उन्हें मामले की जानकारी हुई थी। एनआरसी वार्ड फुल था। इससे बच्चे को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती करा दिया गया था। अब उसे एनआरसी वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा। जरूरत पड़ने पर रात को भी डाक्टर को एनआरसी वार्ड में बुला लिया जाता है।
एनआरसी वार्ड के डा. विवेक सक्सेना ने बताया कि कुपोषित बच्चों के वार्ड की दस बेड की क्षमता है। शुक्रवार रात को वहां 13 बच्चे भर्ती थे। शनिवार सुबह दो बच्चे डिर्स्चाज कर दिए गए। एक बच्चे को रेफर कर दिया गया। वार्ड में जगह होने पर आने वाले कुपोषित बच्चों को तुरंत भर्ती किया जाता है।
लोहिया अस्पताल के एनआरसी वार्ड की हालत खराब
रात के समय डाक्टर भी नहीं मिलते
कुपोषित बच्चे को भर्ती कराने में परिजन बने चकरघिन्नी
लोहिया अस्पताल के एनआरसी वार्ड की हालत ठीक नहीं है। रात को वहां डाक्टर नहीं मिलते हैं। इसके चलते अक्सर मरीजों को रात को वापस कर दिया जाता है। शुक्रवार रात को एक महिला अपनी बेटी के दो माह के कुपोषित बेटे को लेकर पहुंची। लेकिन वहां उसे भर्ती नहीं किया गया। बाद में सीएमएस के कहने पर उसे इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया।
कुपोषित बच्चों को बेहतर इलाज मिल सके इसके लिए लोहिया अस्पताल में एनआरसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) बना है। लेकिन इस वार्ड की हालत ठीक नहीं है। शुक्रवार रात करीब साढ़े आठ बजे कायमगंज निवासी रवि कुमार अपनी सास विनोदा देवी के साथ अपने दो माह के कुपोषित बच्चे को लेकर लोहिया अस्पताल के एनआरसी वार्ड में पहुंचा।
वहां मौजूद नर्स ने वार्ड में जगह न होने की बात कहकर बच्चे को इमरजेंसी कक्ष में ले जाने को कह दिया। इस पर वह इमरजेंसी में बच्चे को लेकर पहुंचे। वहां डाक्टर ने बाल रोग विशेषज्ञ न होने की बात कहकर वापस एनआरसी में ले जाने को कहा, इस पर वह बच्चे को एनआरसी में ले गए।
लेकिन वहां उसकी एक नहीं सुनी गई। इससे थक हारकर वह इमरजेंसी कक्ष के बाहर बैठ गए। वहां मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि 22 मई की रात भी एक कुपोषित बच्चा आया था, उसे भी एनआरसी वार्ड में भर्ती नहीं किया गया। कहा कि रात को वहां डाक्टर नहीं रहते हैं।
मौजूद नर्स व अन्य स्वास्थ्य कर्मी आने वाले मरीजों को बहाने बनाकर टरका देते हैं। सीएमएस डा. एसपी सिंह ने बताया कि उन्हें मामले की जानकारी हुई थी। एनआरसी वार्ड फुल था। इससे बच्चे को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती करा दिया गया था। अब उसे एनआरसी वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा। जरूरत पड़ने पर रात को भी डाक्टर को एनआरसी वार्ड में बुला लिया जाता है।
एनआरसी वार्ड के डा. विवेक सक्सेना ने बताया कि कुपोषित बच्चों के वार्ड की दस बेड की क्षमता है। शुक्रवार रात को वहां 13 बच्चे भर्ती थे। शनिवार सुबह दो बच्चे डिर्स्चाज कर दिए गए। एक बच्चे को रेफर कर दिया गया। वार्ड में जगह होने पर आने वाले कुपोषित बच्चों को तुरंत भर्ती किया जाता है।
लोहिया अस्पताल के एनआरसी वार्ड की हालत खराब
रात के समय डाक्टर भी नहीं मिलते
कुपोषित बच्चे को भर्ती कराने में परिजन बने चकरघिन्नी