इटावा। रामनगर रेलवे क्रासिंग पर प्रस्तावित आरओबी में नगर पालिका, दूरसंचार, वन और बिजली विभाग अड़ंगा बन गए हैं। वन विभागों को पेड़ों के मुआवजा, नपा को पेयजल, सड़क, बिजली और दूरसंचार विभाग को अपनी लाइनें शिफ्ट करने के खर्च का एस्टीमेट देना है। अभी तक इन विभागों ने सर्वे ही नहीं किया है। सेतु निगम ने पत्र लिखकर चारों विभागों से एक सप्ताह में सर्वे रिपोर्ट मांगी है।
अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष और सांसद डा. रामशंकर कठेरिया ने तीन महीने पहले अधिकारियों के साथ रामनगर क्रासिंग पर आरओबी निर्माण के लिए स्थलीय निरीक्षण किया था। तब उन्होंने रेलवे और सेतु निगम के अधिकारियों को एक साल में आरओबी निर्माण पूरा कराने के निर्देश भी दिए थे। तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन बिजली और दूरसंचार विभाग ने अपनी लाइन शिफ्टिंग का सर्वे ही पूरा नहीं किया है। इसी तरह वन विभाग ने पेड़ों के मुआवजे और नपा ने पेयजल लाइन नपा को पेयजल व सड़क फुटपाथ के मुआवजे के लिए एस्टीमेट देना है। रामनगर आरओबी वर्ष 2013 में स्वीकृत हो चुका था, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से ही निर्माण शुरू नहीं हो पाया।
सांसद की पहल पर रेलवे के उच्चाधिकारियों और सेतु निगम के अधिकारियों ने इस परियोजना पर फिर से काम शुरू किया। अब रेलवे की ओर से इस प्रस्ताव को स्वीकृत मिल चुकी है। फिजिविल रिपोर्ट पर सेतु निगम और रेलवे केे अधिकारियों के संयुक्त हस्ताक्षर भी हो चुके हैं। पुल निर्माण से पहले ग्राउंड लेबिल पर नगर पालिका को पुल की एप्रोच की दोनों तरफ जलापूर्ति पाइप लाइन की शिफ्टिंग करनी है। सीवर लाइन के लिए जगह सुरक्षित करनी है। बिजली विभाग और दूरसंचार को भी अपनी-अपनी लाइनों और पोलों को शिफ्ट करना है। वन विभाग को निर्माण के बीच में आ रहे पौधों को कटवाने की अनुमति प्रदान करना है। काम से पहले सभी विभागों को सर्वे रिपोर्ट तैयार कर सेतु निगम को सबमिट करना है।
सेतु निगम से चारों विभाग अपने-अपने कामों के लिए अनुमानित बजट की मांग भी करेंगे। जब इन चारों विभागों की डिमांड आ जाएगी। इसके बाद सेतु निगम अपनी डीपीआर शासन को भेजेगा। वैसे इस पुल की अनुमानित लागत 50 करोड़ आंकी गई है। सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद ही अंतिम रूप से डीपीआर तैयार की जाएगी। डीपीआर जब तक नहीं जाएगी शासन से इस परियोजना को बजट भी आवंटित नहीं होगा। अभी तो सर्वे रिपोर्ट का प्रारंभिक काम ही होना बाकी है, बजट मिलना तो अभी बहुत दूर की कौड़ी है।
राज्य सेतु निगम इटावा इकाई के उप परियोजना प्रबंधक नवाब सिंह ने बताया कि नगर पालिका, वन विभाग, दूरसंचार और बिजली विभाग के अधिकारियों को पत्र भेजकर सर्वे रिपोर्ट मांगी गई है । अभी तक किसी विभाग की रिपोर्ट नहीं आई है। सभी विभागों को पुन: पत्र लिखकर एक सप्ताह में सर्वे रिपोर्ट मांगी जा रही है। एक सप्ताह में रिपोर्ट न मिलने पर उच्चाधिकारियों को सूचित किया जाएगा।
इटावा। रामनगर रेलवे क्रासिंग पर प्रस्तावित आरओबी में नगर पालिका, दूरसंचार, वन और बिजली विभाग अड़ंगा बन गए हैं। वन विभागों को पेड़ों के मुआवजा, नपा को पेयजल, सड़क, बिजली और दूरसंचार विभाग को अपनी लाइनें शिफ्ट करने के खर्च का एस्टीमेट देना है। अभी तक इन विभागों ने सर्वे ही नहीं किया है। सेतु निगम ने पत्र लिखकर चारों विभागों से एक सप्ताह में सर्वे रिपोर्ट मांगी है।
अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष और सांसद डा. रामशंकर कठेरिया ने तीन महीने पहले अधिकारियों के साथ रामनगर क्रासिंग पर आरओबी निर्माण के लिए स्थलीय निरीक्षण किया था। तब उन्होंने रेलवे और सेतु निगम के अधिकारियों को एक साल में आरओबी निर्माण पूरा कराने के निर्देश भी दिए थे। तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन बिजली और दूरसंचार विभाग ने अपनी लाइन शिफ्टिंग का सर्वे ही पूरा नहीं किया है। इसी तरह वन विभाग ने पेड़ों के मुआवजे और नपा ने पेयजल लाइन नपा को पेयजल व सड़क फुटपाथ के मुआवजे के लिए एस्टीमेट देना है। रामनगर आरओबी वर्ष 2013 में स्वीकृत हो चुका था, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से ही निर्माण शुरू नहीं हो पाया।
सांसद की पहल पर रेलवे के उच्चाधिकारियों और सेतु निगम के अधिकारियों ने इस परियोजना पर फिर से काम शुरू किया। अब रेलवे की ओर से इस प्रस्ताव को स्वीकृत मिल चुकी है। फिजिविल रिपोर्ट पर सेतु निगम और रेलवे केे अधिकारियों के संयुक्त हस्ताक्षर भी हो चुके हैं। पुल निर्माण से पहले ग्राउंड लेबिल पर नगर पालिका को पुल की एप्रोच की दोनों तरफ जलापूर्ति पाइप लाइन की शिफ्टिंग करनी है। सीवर लाइन के लिए जगह सुरक्षित करनी है। बिजली विभाग और दूरसंचार को भी अपनी-अपनी लाइनों और पोलों को शिफ्ट करना है। वन विभाग को निर्माण के बीच में आ रहे पौधों को कटवाने की अनुमति प्रदान करना है। काम से पहले सभी विभागों को सर्वे रिपोर्ट तैयार कर सेतु निगम को सबमिट करना है।
सेतु निगम से चारों विभाग अपने-अपने कामों के लिए अनुमानित बजट की मांग भी करेंगे। जब इन चारों विभागों की डिमांड आ जाएगी। इसके बाद सेतु निगम अपनी डीपीआर शासन को भेजेगा। वैसे इस पुल की अनुमानित लागत 50 करोड़ आंकी गई है। सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद ही अंतिम रूप से डीपीआर तैयार की जाएगी। डीपीआर जब तक नहीं जाएगी शासन से इस परियोजना को बजट भी आवंटित नहीं होगा। अभी तो सर्वे रिपोर्ट का प्रारंभिक काम ही होना बाकी है, बजट मिलना तो अभी बहुत दूर की कौड़ी है।
राज्य सेतु निगम इटावा इकाई के उप परियोजना प्रबंधक नवाब सिंह ने बताया कि नगर पालिका, वन विभाग, दूरसंचार और बिजली विभाग के अधिकारियों को पत्र भेजकर सर्वे रिपोर्ट मांगी गई है । अभी तक किसी विभाग की रिपोर्ट नहीं आई है। सभी विभागों को पुन: पत्र लिखकर एक सप्ताह में सर्वे रिपोर्ट मांगी जा रही है। एक सप्ताह में रिपोर्ट न मिलने पर उच्चाधिकारियों को सूचित किया जाएगा।