इटावा। जब मई महीने में यमुना का यह हाल है तो जून की भीषण गर्मी का क्या होगा। जैसे-जैसे पारा चढ़ता जा रहा है यमुना की धारा भी सिकुड़ती जा रही है। मौजूदा समय में जीवनदायिनी की धारा सिकुड़कर पतली रेखा सी रह गई है। यह पतली रेखा भी यमुना के निर्मल जल की नहीं बल्कि शहर के गिरने वाले नालों की है। इटावा सहित कई अन्य महानगरों के गंदे नालों से करोड़ो लीटर गंदा पानी यमुना में गिर रहा है। समय-समय पर यमुना बचाओ अभियान के तहत लोग आगे तो आए, लेकिन वक्त के साथ अभियान फ्लाप हो गया। सरकारों ने यमुना की शुद्धता के लिए करोड़ाें रुपया पानी की तरह बहाया। कई जगह यमुना एक्शन प्लांट भी बने लेकिन कड़े कानून के अभाव में यह कदम भी यमुना को निर्मल काया नहीं दे पाए। आज यमुना अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जूझ रही है।
मैं तो नया हूं पुराने लोगों को यमुना घाटों की साफ-सफाई के संबंध में बताना चाहिए था। फिर भी गुरुवार सुबह तीन बजे तक घाटों की सफाई कराकर चूना डलवाने का प्रयास करूंगा-जनार्दन राय, ईओ नगर पालिका इटावा।
इटावा। जब मई महीने में यमुना का यह हाल है तो जून की भीषण गर्मी का क्या होगा। जैसे-जैसे पारा चढ़ता जा रहा है यमुना की धारा भी सिकुड़ती जा रही है। मौजूदा समय में जीवनदायिनी की धारा सिकुड़कर पतली रेखा सी रह गई है। यह पतली रेखा भी यमुना के निर्मल जल की नहीं बल्कि शहर के गिरने वाले नालों की है। इटावा सहित कई अन्य महानगरों के गंदे नालों से करोड़ो लीटर गंदा पानी यमुना में गिर रहा है। समय-समय पर यमुना बचाओ अभियान के तहत लोग आगे तो आए, लेकिन वक्त के साथ अभियान फ्लाप हो गया। सरकारों ने यमुना की शुद्धता के लिए करोड़ाें रुपया पानी की तरह बहाया। कई जगह यमुना एक्शन प्लांट भी बने लेकिन कड़े कानून के अभाव में यह कदम भी यमुना को निर्मल काया नहीं दे पाए। आज यमुना अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जूझ रही है।
मैं तो नया हूं पुराने लोगों को यमुना घाटों की साफ-सफाई के संबंध में बताना चाहिए था। फिर भी गुरुवार सुबह तीन बजे तक घाटों की सफाई कराकर चूना डलवाने का प्रयास करूंगा-जनार्दन राय, ईओ नगर पालिका इटावा।