इटावा। गंगा दशहरा पर यमुना में स्नान करने के इच्छुक श्रद्धालुओं को आचमन से ही काम चलाना होगा। इन दिनों यमुना की पतली सी धारा बह रही है। जो इतनी गंदी है कि डुबकी लगाना मुश्किल होगा। करोड़ों खर्च होने के बाद भी यमुना का जल दूषित है। शहर के नालों को पानी हर रोज यमुना में गिर रहा है।
आदिकाल से चलीं आ रहीं परंपराओं के आधार पर खास पर्वों पर गंगा-यमुना में स्नान करना शुभ व पुण्यकारी माना गया है। बुधवार को पड़ रहे गंगा दशहरा पर्व पर यमुना में स्नान करने वालों की भीड़ उमड़ेगी लेकिन उन्हें यमुना की पतली सी धारा देख निराशा होगी। कुछ वर्ष पहले गंगा दशहरा पर यमुना घाटों पर स्नान करने वालों की भारी भीड़ जुटने के साथ ही मेला भी लगता था। अब न मेला लगता है और न ही श्रद्धालुओं की भीड़।
घाटों पर उड़ रही धूल
यमुना नदी के किनारे बने घाटों पर यमुना की धारा सूखने के कारण धूल उड़ रही है। घाटों किनारे जमा गंदगी लोगों को यमुना की धारा तक जाने में विचलित करती है। गंगा दशहरा का पर्व होने के बाद भी नगर पालिका व जिला प्रशासन सहित सामाजिक संगठनों ने यमुना के घाटों की साफ-सफाई के लिए कोई कार्य नहीं किया।
गंदगी के घिरी मोक्षदायिनी
यमुना नदी को मोक्षदायिनी का दर्जा दिया गया है। लेकिन वर्तमान में गंदगी के घिरी मोक्षदायिनी खुद इंसान से अपने मोक्ष की कामना कर रही है। यमुना की जो पतली धारा बह रही है वह नहाने काबिल नहीं है। हालात ये हैं कि पर्व पर कुछ ही आस्थावान लोग यमुना स्नान करने पहुंचते हैं। यमुना स्नान के बाद हैंडपंप के पानी से स्नान करते हैं।
इटावा का है विशेष स्थान
वैसे तो यमुना नदी अपने आप में ही विशेष है। लेकिन यमुनोत्री से प्रयागराज के बीच इटावा में चतुर्दिक वाहिनी होने के कारण यमुना का विशेष स्थान है। जिले में यमुना चारो दिशाओं में बहती हुई आगे के लिए बढ़ी है।
इटावा। गंगा दशहरा पर यमुना में स्नान करने के इच्छुक श्रद्धालुओं को आचमन से ही काम चलाना होगा। इन दिनों यमुना की पतली सी धारा बह रही है। जो इतनी गंदी है कि डुबकी लगाना मुश्किल होगा। करोड़ों खर्च होने के बाद भी यमुना का जल दूषित है। शहर के नालों को पानी हर रोज यमुना में गिर रहा है।
आदिकाल से चलीं आ रहीं परंपराओं के आधार पर खास पर्वों पर गंगा-यमुना में स्नान करना शुभ व पुण्यकारी माना गया है। बुधवार को पड़ रहे गंगा दशहरा पर्व पर यमुना में स्नान करने वालों की भीड़ उमड़ेगी लेकिन उन्हें यमुना की पतली सी धारा देख निराशा होगी। कुछ वर्ष पहले गंगा दशहरा पर यमुना घाटों पर स्नान करने वालों की भारी भीड़ जुटने के साथ ही मेला भी लगता था। अब न मेला लगता है और न ही श्रद्धालुओं की भीड़।
घाटों पर उड़ रही धूल
यमुना नदी के किनारे बने घाटों पर यमुना की धारा सूखने के कारण धूल उड़ रही है। घाटों किनारे जमा गंदगी लोगों को यमुना की धारा तक जाने में विचलित करती है। गंगा दशहरा का पर्व होने के बाद भी नगर पालिका व जिला प्रशासन सहित सामाजिक संगठनों ने यमुना के घाटों की साफ-सफाई के लिए कोई कार्य नहीं किया।
गंदगी के घिरी मोक्षदायिनी
यमुना नदी को मोक्षदायिनी का दर्जा दिया गया है। लेकिन वर्तमान में गंदगी के घिरी मोक्षदायिनी खुद इंसान से अपने मोक्ष की कामना कर रही है। यमुना की जो पतली धारा बह रही है वह नहाने काबिल नहीं है। हालात ये हैं कि पर्व पर कुछ ही आस्थावान लोग यमुना स्नान करने पहुंचते हैं। यमुना स्नान के बाद हैंडपंप के पानी से स्नान करते हैं।
इटावा का है विशेष स्थान
वैसे तो यमुना नदी अपने आप में ही विशेष है। लेकिन यमुनोत्री से प्रयागराज के बीच इटावा में चतुर्दिक वाहिनी होने के कारण यमुना का विशेष स्थान है। जिले में यमुना चारो दिशाओं में बहती हुई आगे के लिए बढ़ी है।