इटावा। प्रशासनिक स्तर पर निकाय चुनाव की तैयारियां देखने से लगने लगा है कि जल्द ही चुनावी बिगुल बज उठेगा। इसके चलते राजनैतिक दलों ने कमर कसना शुरू कर दिया है। जिन दलों में अभी यह फैसला नहीं हो सका है कि चुनाव सिंबल पर लड़ा जाएगा या नहीं वहां दावेदारों ने अपने आपको जनता के बीच पेश करना शुरू कर दिया है। जहां चुनाव सिंबल पर होगा वहां पर पार्टी स्तर पर मोहरे तलाशे जा रहे हैं।
सपा में चल उठा होर्डिंग बार
-सत्तारूढ़ होने से समाजवादी पार्टी में चेयरमैन पद के दावेदारों लंबी फेहरिस्त है। बेशक अभी सपा हाईकमान यह निर्णय नहीं कर सका कि निकाय चुनाव सिंबल पर लड़ा जाएगा या नहीं दावेदार होर्डिंग वार के मैदान में उतर आए हैं। शहर के प्रमुख स्थानों पर बड़े बड़े होर्डिंग लगाकर अपनी दावेदारी पुख्ता कर रहे हैं। इस सबके पीछे बताते हैं कि पार्टी के अंदर खाने में चर्चा है कि पार्टी हाईकमान किसी को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित करने नहीं जा रहा। ऐसे मेें हर कोई चुनाव लड़ सकता है। चूंकि चुनाव घोषणा के बाद आचार संहिता के कारण होर्डिंग नहीं लगा सकेंगे इसीलिए अभी से इसका लाभ लेने की जुगत में हैं। होर्डिंग के जरिए सपा से कुलदीप गुप्ता संटू, सुमन गुप्ता, मु. इदरीश, धीरेंद्र यादव की दावेदारी सामने आई है। इसके इतर नफीसुल हसन अंसारी भी चेयरमैनी के दावेदार हैं।
मजबूत उम्मीदवार की तलाश
पहली बार इटावा नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। उसके बाद हुए दो चुनावों में भाजपा तरस गई। अपनी इस पुरानी सीट को हासिल करने के लिए भाजपाई चाहते हैं कि चेयरमैन पद के लिए कोई मजबूत प्रत्याशी मिले। इसकी तलाश भी शुरू कर दी गई है। फिलहाल पार्टी की ओर से जो दावेदार सामने आए हैं उनमें भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र गुप्ता के अलावा बलराम यादव शामिल है। इनकी दावेदारी के लिए पैराकारों ने प्रयास भी तेज कर दिए हैं। यह सही है कि यदि यह सीट अनारक्षित होती तो इस पार्टी में भी दावेेदारों की लंबी फेहरिस्त होती लेकिन आरक्षित होने के कारण कई लोगों की उम्मीदों पर तुषारापात हो गया है।
बसपा में उलझन
-बसपा ने पहले भी निकाय चुनाव सिंबल से नहीं लड़ा था अलबत्ता पार्टी के प्रत्याशी को अधिकृत जरूर किया था। इस बार पार्टी सुप्रीमो की चेतावनी से दावेदार उलझन में हैं। चुनाव लड़ने का तो मन कर रहे हैं लेकिन इसके लिए उन्हें पार्टी से बाहर होना पड़ेगा। इसका फैसला करना उनके लिए कठिन हो रहा है। हालांकि वह जानते हैं कि पांच वर्ष तो पार्टी में कुछ भी नहीं मिलेगा लेकिन यदि पार्टी के खिलाफ गए तो बाद में भी दूर रहना होगा। लिहाजा बसपा में इस पद को पाने की ख्वाहिश रखने वाले लोग पहले से ही अपनी जमीन पुख्ता करना चाहते हैँ और इसके लिए गुपचुप तरीके से दूसरे दलों के नेताओं से संपर्क भी साधने लगे हैं।
होमवर्क करने में जुटी कांग्रेस
- इटावा नगर पालिका परिषद के लगभग सभी चुनावों में कांग्रेस ने भागीदारी की लेकिन हर चुनाव में उसकी स्थिति काफी दयनीय रही। इसलिए इस बार कांग्रेस पूरा होमवर्क करने के बाद ही प्रत्याशी का चयन करना चाहती है। कांग्रेस ने 21 मई क ो बैठक आहूत की है और उसी में संभावित दावेेदारों से आवेदन मांगे हैं। फिलहाल अभी तक निवर्तमान सभासद सलमा बेगम का नाम ही सामने आया है। वैसे पार्टी एक बार फिर विधानसभा चुनाव की तरह से मजबूत प्रत्याशी की तलाश है क्योंकि पार्टी चाहती है कि यदि उसका प्रत्याशी किसी कारणवश जीत न पाए तो कम से कम वोट प्रतिशत तो बढ़ जाए।