इटावा। बेशक शिक्षा का अधिकार अधिनियम को लागू हुए दो वर्ष पूरे होने क ो हैं लेकिन यहां बेसिक शिक्षा विभाग में इसका बखूबी अनुपालन नहीं हो पा रहा है। अब जबकि परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों का वार्षिक परीक्षाफल घोषित किए जाने की बारी है। शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत हर बच्चें को उसकी प्रगति का कार्ड मिलना चाहिए लेकिन यहां सिर्फ कक्षा 5 व 8 के बच्चों के लिए ही रिजल्ट कार्ड तैयार किए जा रहे हैं। शेष कक्षाओं के बच्चों को पुराने ढर्रे पर सिर्फ रिजल्ट सुनाया जाएगा।
सरकार परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों की पढ़ाई पर पानी की तरह पैसा बहाती है। बच्चों को निशुल्क शिक्षा, पुस्तकें, ड्रेस, मिड डे मील सबकुछ उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन परीक्षा की बारी आती है तो उन्हें प्रश्नपत्र मिलते हैं और न ही लिखने को कापियां। श्यामपट पर प्रश्न पत्र तैयार कर परीक्षा करा ली जाती है। कापियां घर से ही लानी पड़ी। परीक्षाएं निबट गई तो आ गई परीक्षाफल घोषित किए जाने की बारी। 19 मई को परिषदीय विद्यालयों में परीक्षाफल घोषित किया जाएगा। लेकिन रिजल्ट कार्ड के लिए धन का अभाव है। इसी कारण सिर्फ कक्षा 5 व 8 के बच्चों के लिए रिजल्ट कार्ड तैयार कराए जा रहे हैं। वर्तमान समय में सरकार मांटेसरी विद्यालयों की भांति परिषदीय विद्यालयों की व्यवस्थाएं कराना चाहती है लेकिन रिजल्ट के मामले में वहीं पुराना ढर्रे को अपनाया जा रहा है। रिजल्ट कार्ड पाकर बच्चों को जो खुशी होती है उस खुशी से बच्चों को महरूम ही होना पड़ेगा। यह तो तय ही है कि कोई बच्चा फेल नहीं होगा। तब फिर इस तरह से परीक्षाफल सुनाए जाने का क्या औचित्य। जिसमें बच्चे के अभिभावक को यह भी पता नहीं चल सके कि उसका बच्चा किस विषय में कमजोर है।
कोई अतिरिक्त बजट नहीं मिलता
प्रभारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी वीके अवस्थी ने बताया कि रिजल्ट कार्ड के लिए कोई अतिरिक्त बजट की व्यवस्था नहीं है। विद्यालयों में वार्षिक फंड के रूप में जो पांच हजार की धनराशि दी जाती है उसी से रिजल्ट कार्ड बनवाने क ा प्रयास किया गया। सिर्फ कक्षा 5 व 8 तक के बच्चों क े लिए ही रिजल्ट कार्ड की व्यवस्था हो पा रही है। शेष कक्षाओं के बच्चों को परीक्षाफल सुनाया जाएगा।
इटावा। बेशक शिक्षा का अधिकार अधिनियम को लागू हुए दो वर्ष पूरे होने क ो हैं लेकिन यहां बेसिक शिक्षा विभाग में इसका बखूबी अनुपालन नहीं हो पा रहा है। अब जबकि परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों का वार्षिक परीक्षाफल घोषित किए जाने की बारी है। शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत हर बच्चें को उसकी प्रगति का कार्ड मिलना चाहिए लेकिन यहां सिर्फ कक्षा 5 व 8 के बच्चों के लिए ही रिजल्ट कार्ड तैयार किए जा रहे हैं। शेष कक्षाओं के बच्चों को पुराने ढर्रे पर सिर्फ रिजल्ट सुनाया जाएगा।
सरकार परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों की पढ़ाई पर पानी की तरह पैसा बहाती है। बच्चों को निशुल्क शिक्षा, पुस्तकें, ड्रेस, मिड डे मील सबकुछ उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन परीक्षा की बारी आती है तो उन्हें प्रश्नपत्र मिलते हैं और न ही लिखने को कापियां। श्यामपट पर प्रश्न पत्र तैयार कर परीक्षा करा ली जाती है। कापियां घर से ही लानी पड़ी। परीक्षाएं निबट गई तो आ गई परीक्षाफल घोषित किए जाने की बारी। 19 मई को परिषदीय विद्यालयों में परीक्षाफल घोषित किया जाएगा। लेकिन रिजल्ट कार्ड के लिए धन का अभाव है। इसी कारण सिर्फ कक्षा 5 व 8 के बच्चों के लिए रिजल्ट कार्ड तैयार कराए जा रहे हैं। वर्तमान समय में सरकार मांटेसरी विद्यालयों की भांति परिषदीय विद्यालयों की व्यवस्थाएं कराना चाहती है लेकिन रिजल्ट के मामले में वहीं पुराना ढर्रे को अपनाया जा रहा है। रिजल्ट कार्ड पाकर बच्चों को जो खुशी होती है उस खुशी से बच्चों को महरूम ही होना पड़ेगा। यह तो तय ही है कि कोई बच्चा फेल नहीं होगा। तब फिर इस तरह से परीक्षाफल सुनाए जाने का क्या औचित्य। जिसमें बच्चे के अभिभावक को यह भी पता नहीं चल सके कि उसका बच्चा किस विषय में कमजोर है।
कोई अतिरिक्त बजट नहीं मिलता
प्रभारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी वीके अवस्थी ने बताया कि रिजल्ट कार्ड के लिए कोई अतिरिक्त बजट की व्यवस्था नहीं है। विद्यालयों में वार्षिक फंड के रूप में जो पांच हजार की धनराशि दी जाती है उसी से रिजल्ट कार्ड बनवाने क ा प्रयास किया गया। सिर्फ कक्षा 5 व 8 तक के बच्चों क े लिए ही रिजल्ट कार्ड की व्यवस्था हो पा रही है। शेष कक्षाओं के बच्चों को परीक्षाफल सुनाया जाएगा।