{"_id":"77158","slug":"Etawah-77158-33","type":"story","status":"publish","title_hn":"भूल गए अफसर का आदेश ","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
इटावा। अफसरों को अब बड़े साहब के आदेश की फिक्र नहीं रहती। तभी तो रेलवे स्टेशन परिसर पर अवैध रूप से खड़े होने वाले वाहनों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। एक सप्ताह पहले निरीक्षण करने आए डीआरएम हरेंद्र राव ने जब रेलिंग के भीतर खड़े वाहनों को लेकर नाराजगी जताई थी, तब इन्हीं अफसरों ने शाम तक कार्रवाई करने की बात पर हामी भर दी थी। एक सप्ताह हो गए लेकिन कहे पर अमल नहीं हुआ।
मालूम हो कि बीते बुधवार को मंडल रेल प्रबंधक इलाहाबाद मंडल हरेंद्र राव ने इटावा स्टेशन का निरीक्षण किया था। सरकुलेटिंग एरिया में रेलिंग के अंदर खड़े चार पहिया वाहनों को देखकर कड़ी नाराजगी जताई थी और आरपीएफ प्रभारी व स्टेशन अधीक्षक से कहा था कि शाम तक वाहनों को यहां से हटवाएं। तब से आज तक वाहन जहां के तहां खड़े होते हैं। इसी तरह इलाहाबाद मंडल के डिवीजन कामर्शियल मैनेजर दुर्गेश दुबे ने 19 मार्च को इटावा स्टेशन का निरीक्षण किया था। उन्होंने स्टेशन परिसर में फैली गंदगी और जीआरपी थाने के सामने रखे कंडम सामान को हटवाने को कहा था। इस आदेश को दो माह बीत गए पर कबाड़ जहां का तहां पड़ा है।
मिलीभगत तो नहीं चल रही!
सूत्रों की मानें तो रेलवे स्टेशन परिसर पर खड़े होने वाले वाहनों में ज्यादातर उनके हैं जिनके घर में जगह नहीं है। ऐसे में स्टैंड ठेकेदार को महीने भर का किराया देकर वाहन खड़े किए जाते हैं। सूत्र बताते हैं कि इस धनराशि का कुछ हिस्सा अफसरों तक पहुंचता है। इसी के चलते कार्रवाई नहीं की जाती।
ठेकेदार को रेलिंग के अंदर वाहन स्टैंड लगाने के लिए मना किया गया है। कुछ वाहन स्वामी वाहन उठाने नहीं आ रहे। वे आ जाए तो जगह खाली हो जाएगी। ठेकेदार को पार्किंग स्थल बता दिया गया है-आरके त्रिपाठी, प्रभारी स्टेशन अधीक्षक
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