इटावा। जल जीवन योजना के तहत 160 करोड़ रुपये से 10 लाख लोगों की प्यास बुझाई जाएगी। दो फेज में जिले की 381 ग्राम पंचायतों में टंकियां बनवाने के साथ ही पाइपलाइन और टोंटियां लगवाई जाएंगी।
केंद्र सरकार की ओर से 2019 में जल जीवन योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत गांवों में हर घर नल, हर घर जल का उद्देश्य है। जिले में इसके तहत तीन फेज में काम कराया जाना है। इस योजना से पहले शुरू की गई राज्य ग्रामीण पेयजल योजना को इसी योजना में जोड़ दिया गया है। इसके तहत ताखा ब्लॉक में छह ग्राम पंचायतों को छोड़कर अन्य सभी में काम करा लिया गया है। अब दो फेजों में जिले की 381 ग्राम पंचायतों में काम कराया जाएगा। इसके तहत करीब 1.60 लाख घरों तक स्वच्छ जल पहुंचाया जाएगा।
इस योजना के तहत 2024 तक काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। दूसरे फेज का काम शुरू भी करा दिया गया है। इसमें 91 ग्राम पंचायतों को रखा गया है। टंकी भी बनवाई जाएगी। वहीं तीसरे फेज में 290 ग्राम पंचायतों में काम कराया जाएगा। इस फेज में 278 टंकियां बनवाना प्रस्तावित है। सभी घरों तक पाइपलाइन पहुंचाने के साथ ही टोंटियां भी लगाई जाएंगी।
बाहरी कंपनी को दी जिम्मेदारी
राज्य ग्रामीण मिशन के तहत क्षेत्रीय ठेकेदारों से ही काम कराया गया था। इसमें बड़ी लापरवाही बरती गई। ठेकेदारों ने मनमानी कर अधूरा काम ही प्रधानों को हैंडओवर कर दिया था। इसे देखते हुए अब बाहरी कंपनियों को ठेका दिया गया है। इन कंपनियों का चयन ऑनलाइन आवेदन के बाद लखनऊ से ही किया गया है। दूसरे फेज का काम इंडियन ह्यूम पाइप और तीसरे फेज का काम ओम इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को दिया गया है। दोनों ही कंपनियों को 10 साल तक इस काम के मेंटिनेंस और ऑपरेट करने की भी जिम्मेदारी दी गई है।
अब जिले में ही बैठकर अधिकारी करेंगे निगरानी
जल निगम के ग्रामीण डिवीजन का दफ्तर कुछ समय पहले औरैया में था। वहीं से इटावा में चलने वाली ग्रामीण योजना की निगरानी की जाती थी। ऐसे में अधिकारी कई-कई दिन बाद दौरा कर पाते थे। इसका फायदा उठाकर ठेकेदार मनमानी करते थे। राज्य ग्रामीण पेयजल योजना के तहत ताखा ब्लॉक में कराए गए काम में ठेकेदार की मनमानी देखते हुए शासन की ओर से जिले में भी कार्यालय शुरू कर दिया गया। अब यहां एक्सीईएन समेत कई अधिकारी बैठकर पूरे काम की निगरानी कर रहे हैं।
दूसरे फेज का काम कराया जा रहा है। तीसरे फेज का भी काम जल्द शुरू कराया जाएगा। दोनों फेज के काम की जिम्मेदारी बाहरी और बड़ी कंपनियों को दी गई है ताकि गुणवत्ता बेहतर रहे। 10 साल तक मेंटिनेंस की जिम्मेदारी भी उन्हीं कंपनियों की है। - जनार्दन सिंह, एक्सीएन ग्रामीण, जल निगम