एचएएल कानपुर में बना डॉर्नियर-228 वायुयान निर्यात की दिशा में अहम भूमिका निभाने जा रहा है। 31 जनवरी को दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर आयोजित भव्य समारोह में इस श्रेणी के एक विमान को रक्षामंत्री एके एंटनी अफ्रीकी देश सेशल्स को बतौर अनुदान देंगे। डॉर्नियर-228 वायुयान समुद्री निगरानी, सैनिक परिवहन, कार्गो आदि तमाम खासियतों से लैस है।
एचएएल कानपुर ने डॉर्नियर-228 हल्के परिवहन वायुयान के विर्निमाण लाइसेंस संबंधी करार 29 नवंबर 1983 में किया था। इस वायुयान का उत्पादन 1984 में शुरू किया गया और प्रभाग ने इस प्रकार के कुल 150 वायुयानों के उत्पादन की योजना बनाई थी। अब तक इस श्रेणी के 117 वायुयान भारतीय वायुसेना, तटरक्षक, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, भारतीय नौसेना आदि को दिए जा चुके हैं। सामुद्रिक निगरानी रूपांतरण वाले दो वायुयानों का निर्यात मॉरिशस को भी किया जा चुका है।
एचएएल के मुख्य प्रबंधक राम अवतार ने बताया कि यह वायुयान रखरखाव की दृष्टि से बहुत कम लागत वाला है। इस वायुयान को विभिन्न भूमिकाओं में दक्षिण अफ्रीका, वियतनाम, अफगानिस्तान, फिलीपींस आदि देशों को निर्यात करने की योजना है। इसके अतिरिक्त इस वायुयान का निर्माण सिविल यात्री वायुयान भूमिका में भी करने की योजना है क्योंकि नागर विमानन क्षेत्र में छोटे शहरों से यात्री यातायात अगले दो वर्षों में बढ़ने की संभावना है। इस कार्य के लिए यह वायुयान बेहद उपयुक्त और आर्थिक रूप से लाभदायक है।
डॉर्नियर-228 की उपयोगिता
- सामुद्रिक निगरानी और गश्त
- सैनिक परिवहन और पैराजंपिंग
- प्रदूषण का पता लगाना व नियंत्रण
- खोज एवं बचाव अभियान
- क्षेत्रीय एयरलाइंस या एयर टैक्सी
- वीआईपी-एक्जिक्यूटिव परिवहन
- हताहत बचाव और एयर एंबुलेंस
- कार्गो और लॉजिस्टिक सहायता
- मत्स्य संरक्षण और पनडुब्बी निरोधक युद्ध
क्षमता
-6400 किलोग्राम तक भार ले जाने की क्षमता
-2850 लीटर की ईंधन क्षमता
-428 किलोमीटर प्रति घंटा अधिकतम क्रूज स्पीड
-दो गैरेट टीपीई 331-5-252 डी इंजन
-रडार और एलरॉन मैनुअली चलाने की क्षमता
-15-19 यात्रियों को बैठाने की क्षमता
-कॉकपिट में दो क्रू-सदस्यों को बैठाने की क्षमता
-रिट्रैक्टेबल ट्राइसाइकिल लैंडिंग गियर से युक्त