चित्रकूट। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री राजकुमार सिंह ने वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय में मात्र एक लिपिक होने से हो रही दिक्कतों की ओर शासन का ध्यान आकृष्ट कराया है।
उन्होंने बताया कि सन् 97 में चित्रकूट जिले के अस्तित्व में आने के बाद सन् 2005-06 में वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय की स्थापना की गई। नियमत: यहां पांच ब्लाकों के आधार पर बांदा से पांच लिपिकों को यहां स्थानांतरित होना चाहिए था। पर आज तक एक लिपिक गया प्रसाद पाल ही यहां है और वह भी बांदा से संबद्ध है। ऐसे में जिले के सभी विकास खंडों के अध्यापकों का नियमित वेतन, अवशेष वेतन, कर्ज, शिक्षामित्रों का मानदेय, पेंशन अवशेष आदि कार्यों का जिम्मा इसी के पास है। कहा कि कार्य की अधिकता से ही अक्सर अनुदान राशि होने के बाद भी शिक्षकों को समय से वेतन नहीं मिलता।
अप्रैल में भी ऐसा हुआ और आखिरकार गर्मी की छुट्टियों में शिक्षक बिना वेतन लिए चले गए। शिक्षक नेता ने इस संबंध में मुख्यमंत्री के अलावा वित्त सचिव, वित्त नियंत्रक आदि को पत्र भेजकर इस समस्या को दूर करने का अनुरोध किया है।