259 सिपाहियों में सिर्फ 42 का हो पाया ट्रांसफर
चित्रकूट। जनपद में पुलिसकर्मियों की भारी कमी है। यही कारण है कि यहां तैनात पुलिस कर्मियों का उनके पड़ोस के जनपद में ट्रांसफर नहीं हो पा रहा है। यहां के 259 सिपाहियों ने ट्रांसफर के लिए आनलाइन आवेदन किया था, किंतु 42 का ही ट्रांसफर हो पाया।
जिले में 1400 सिपाहियों की जरूरत है, जबकि यहां सिर्फ 428 सिपाही तैनात हैं। इसमें सन् 2011 में भर्ती होने वाले 108 सिपाही भी शामिल हैं। जिले के दस थानों और चार पुलिस चौकियों में सिर्फ 34 एसआई हैं, जबकि जरूरत 138 की है। यही हाल हेड कांस्टेबल का है। जरूरत 377 की है, जबकि मौजूद केवल 30 हैं। इनमें एक महिला दरोगा और 11 महिला कांस्टेबल हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जवानों की कमी के कारण काम का बोझ बढ़ जाता है। इससे पुलिसकर्मियों को जल्दी छुट्टी नहीं मिल पाती है। कई सिपाहियों का आरोप है कि अधिकारी यही बहाना बनाकर उन्हें जरूरत के समय भी छुट्टी नहीं देते। कभी-कभी तो घर या रिश्तेदारी में शादी-विवाह के दौरान भी छुट्टी नहीं मिलती, जिससे बड़ी झल्लाहट होती है।
शासन ने सिपाहियों का पड़ोस के जिलों में स्थानांतरण के लिए नीति बनाई थी। इसके तहत सिपाहियों से 26 अप्रैल तक आनलाइन आवेदन मांगे गए थे। इसमें बांदा-चित्रकूट के डीआईजी स्तर से जिले से 42 सिपाहियों का ट्रांसफर किया गया। पुलिस अधीक्षक कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक जिले को 62 सिपाही मिले हैं। इनमें से 25 सिपाहियों ने पुलिस लाइन में आमद करा ली है। 11 सिपाहियों के ट्रांसफर बांदा सेक्टर के बाहर भी किए गए। इसे लेकर सिपाहियों में असमंजस की स्थिति है।
डीआईजी चित्रकूटधाम पीके श्रीवास्तव ने बताया कि चित्रकूट से 259 सिपाहियों ने ट्रांसफर के लिए आवेदन किया था, जबकि यहां आने के लिए सिर्फ 42 सिपाहियों ने आवेदन किया था। उन्होंने बताया कि जिले में 428 सिपाही होने से केवल 42 का ट्रांसफर हो पाया। उन्होंने बताया कि सिपाहियों का ट्रांसफर उनके मुताबिक हो सके, इसके लिए आला अधिकारियों से और सिपाही मांगे थे। उच्चाधिकारी से निर्देश मिला कि जितने सिपाही बाहर से आते जाएं, उतने ही यहां से ट्रांसफर किए जाएं, इसीलिए बाकी का ट्रांसफर रुका हुआ है।