चित्रकूट। बिजली कटौती से शहरी ही नहीं ग्रामीण भी आजिज हैं। कटौती ने लोगों की नींद हराम कर दी है। ग्रामीण इलाकों का हाल यह है कि शेड्यूल 12 से 13 घंटे बिजली देने का है, किंतु मिलती है बमुश्किल पांच से छह घंटे। लोगों का कहना है कि सत्ता में आने से पहले सपा ने कटौती से मुक्ति दिलाने का वायदा किया था। कटौती से मुक्ति तो दूर अब उतनी भी बिजली नहीं मिलती, जितने पहले मिलती थी। इससे अच्छी तो बसपा की सरकार थी। अधिकारियों का तर्क है कि गर्मी की वजह से मांग बढ़ने से प्रदेश स्तर से ही आपातकालीन कटौती की जा रही है।
बिजली कटौती से जनता कराह रही है। आलम यह है कि कब बिजली चली जाए, कहा नहीं जा सकता। राजापुर प्रतिनिधि के अनुसार कस्बे में तैनात जेई का कहना है कि बिजली का शेड्यूल शाम सात बजे से सुबह नौ बजे तक और दिन में दो से पांच तक है लेकिन दिन में बिजली कभी कभार ही आती है। रात में नौ बजे के बाद दो-दो घंटे करके तीन बार बिजली काटी जाती है। लोगों को रात घर के बाहर टहल कर काटनी पड़ती है। सरधुआ का फीडर जल जाने से तीसरे दिन भी बिजली की आपूर्ति नहीं हो सकी है। विजय गौतम, उदयभान सिंह, हरबख्श सिंह, उद्धव विश्वकर्मा और अभिषेक पांडे ने बताया कि बिजली विभाग की लापरवाही से इस फीडर के उपभोक्ता परेशान हैं।
मऊ प्रतिनिधि के अनुसार एसडीओ रामलखन ने विद्युत का शेड्यूल दिन में दो से पांच बजे तक, और रात में शाम को सात बजे से सुबह नौ बजे तक का बताया लेकिन कभी बिजली सात-आठ घंटे से अधिक नहीं रहती है। लोगों का कहना है कि रात मे बिजली दस मिनट के लिए आती, फिर बीस मिनट तक गुल रहती है। यही क्रम पूरी रात चलता है। मच्छरों के कारण लोग सो नहीं पाते। लोगों का कहना है कि बिजली गुल होने के बाद अवर अभियंता और एसडीओ का फोन ही नहीं उठता है। मानिकपुर प्रतिनिधि के अनुसार कस्बे में बिजली की भयंकर कटौती हो रही है। हाल यह है कि लोगों को मोबाइल चार्ज करने के लिए बाजार आना पड़ता है। मानिकपुर के अवर अभियंता के मुताबिक शेड्यूल दो से पांच, शाम को सात बजे से सुबह नौ बजे तक बिजली देने का है, किंतु रात में दो से तीन घंटे की अघोषित कटौती की जाती है। कटौती के संबंध में जब एक्सईएन से संपर्क किया गया तो वे एमडी की बैठक में थे। एसडीओ गंगवार ने बताया कि जिले ही नहीं, पूरे सूबे में बिजली का संकट है। गर्मी की वजह से मंडल से ही आपात कटौती की जा रही है।