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पशुओं के लिए करें पर्याप्त पानी की व्यवस्था
Chitrakoot
Updated Thu, 17 May 2012 12:00 PM IST
चित्रकूट। तुलसी कृषि विज्ञान केंद्र गनीवां में एक दिवसीय समेकित जल समेट प्रबंध विषय पर प्रशिक्षण हुआ। इसमें कहा गया कि गर्मी में पशुओं को पीने के पानी की कमी न हो, इसके लिए चरही की व्यवस्था की जानी चाहिए। सलाह दी गई कि अभी से गड्ढों की खुदाई कर लें, जिससे बारिश के समय पौधे रोपे जा सकें।
मुख्य अतिथि उप निदेशक, भूमि संरक्षण विभाग बांदा विजय सिंह ने कहा कि प्रशिक्षणों से जलागम समिति की कार्यक्षमता में वृद्धि की जा सकती है। कृषि, बागवानी में समय से लाभार्थियों की सूची तैयार कर समय पर बीज एवं अन्य कृषि निवेश समय पर उपलब्ध कराने का फायदा होता है। उत्पादन बढ़ाने के लिए जैव उर्वरक, सूक्ष्म तत्व, बीज शोधन के लिए फंगीसाइड्स, पादप सुरक्षा के लिए दवाएं देने की बात भी कही गई। सलाह दी कि वनीकरण और उद्यानीकरण के लिए आंवला, अमरूद, बेर, बेल और फूलों की खेती की जाए और उन्नत पौध और सब्जी उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए। वैज्ञानिक संत कुमार त्रिपाठी ने माइक्रो वाटरशेड के अलावा भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर किसानों को फसल के लिए कार्ययोजना तैयार करने की सलाह दी। विनय कुमार ने किसानों से कहा कि वे अभी से गड्ढे खोद लें, जिससे वर्षा के समय इनमें रोपाई की जा सके और साथ ही सब्जी उत्पादन के लिए समय पर उन्नतशील बीजों की नर्सरी डालकर खरीफ में अच्छा उत्पादन लेने की सलाह दी। वन क्षेत्राधिकारी नरेंद्र सिंह, पशुपालन विभाग के डा. एसआर भट्टाचार्य, एपी यादव, जीपी कुशवाहा, डा. रामअधार रावत, विजय कुमार गौतम, आदित्य कुमार सिंह, अरुण कुमार शुक्ला, कमलाशंकर शुक्ल ने भी किसानों को जानकारी दीं। डा. छोटे सिंह ने आभार व्यक्त किया।
चित्रकूट। तुलसी कृषि विज्ञान केंद्र गनीवां में एक दिवसीय समेकित जल समेट प्रबंध विषय पर प्रशिक्षण हुआ। इसमें कहा गया कि गर्मी में पशुओं को पीने के पानी की कमी न हो, इसके लिए चरही की व्यवस्था की जानी चाहिए। सलाह दी गई कि अभी से गड्ढों की खुदाई कर लें, जिससे बारिश के समय पौधे रोपे जा सकें।
मुख्य अतिथि उप निदेशक, भूमि संरक्षण विभाग बांदा विजय सिंह ने कहा कि प्रशिक्षणों से जलागम समिति की कार्यक्षमता में वृद्धि की जा सकती है। कृषि, बागवानी में समय से लाभार्थियों की सूची तैयार कर समय पर बीज एवं अन्य कृषि निवेश समय पर उपलब्ध कराने का फायदा होता है। उत्पादन बढ़ाने के लिए जैव उर्वरक, सूक्ष्म तत्व, बीज शोधन के लिए फंगीसाइड्स, पादप सुरक्षा के लिए दवाएं देने की बात भी कही गई। सलाह दी कि वनीकरण और उद्यानीकरण के लिए आंवला, अमरूद, बेर, बेल और फूलों की खेती की जाए और उन्नत पौध और सब्जी उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए। वैज्ञानिक संत कुमार त्रिपाठी ने माइक्रो वाटरशेड के अलावा भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर किसानों को फसल के लिए कार्ययोजना तैयार करने की सलाह दी। विनय कुमार ने किसानों से कहा कि वे अभी से गड्ढे खोद लें, जिससे वर्षा के समय इनमें रोपाई की जा सके और साथ ही सब्जी उत्पादन के लिए समय पर उन्नतशील बीजों की नर्सरी डालकर खरीफ में अच्छा उत्पादन लेने की सलाह दी। वन क्षेत्राधिकारी नरेंद्र सिंह, पशुपालन विभाग के डा. एसआर भट्टाचार्य, एपी यादव, जीपी कुशवाहा, डा. रामअधार रावत, विजय कुमार गौतम, आदित्य कुमार सिंह, अरुण कुमार शुक्ला, कमलाशंकर शुक्ल ने भी किसानों को जानकारी दीं। डा. छोटे सिंह ने आभार व्यक्त किया।