चित्रकूट। जारोमाफी व छेरिहा खुर्द के ग्रामीणों ने कर्वी तहसील के 185 बीघे पर विराजमान ठाकुर बालाजी महाराज मंदिर की जमीन कुर्क होने से लेकर अब तक की कृषि उपज की सघन जांच के लिए जिलाधिकारी को पत्र भेजा है। उन्होंने डीएम से मामले की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
जारोमाफी और छेरिहा के ग्रामीण रम्मो यादव, रामासरे रैदास, राममनोहर यादव, राजकुमार यादव, अरुण कुमार गौतम और चंद्रपाल आदि ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर बालाजी मंदिर की कृषि की पांच साल की न्यूनतम उपज का ब्यौरा देते हुए जिलाधिकारी से मामले की जांच की मांग की है। आरोप है कि रिसीवर व हल्का लेखपाल राम खेलावन पटेल ने मंदिर की कृषि उपज का बंदर बांट कर लिया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि गांव के कथित ग्राम प्रधान गेंदा लाल व गांव के अन्य पांच लोगों ने 350 कुंतल का गेहूं आश्रम में स्टाक किया था। जिसे गांव के बटाईदार मारकुंडी निवासी दयानंद उर्फ पुकूली व वर्तमान लेखपाल रामखेलावन पटेल पुत्र मोतीलाल पटेल ने एफसीआई गोदाम में बेच दिया और वहां से मिली चेक दयानंद ने अपने नाम से कटवाकर अपने खाते में जमा करा ली। जब ग्राम प्रधान ने एफआईआर की बात कही तो दोनों ने हिसाब देने का झांसा देकर मना लिया। ग्रामीणों ने बताया कि मदिर के नाम से कुल 185 बीघे जमीन में पांच साल में बटाई का निकालने के बाद भी बाइस लाख बीस हजार की उपज होती है जिसमें से अगर पांच साल में साढ़े सात लाख का खर्च करने के बाद भी लगभग 15 लाख सत्तर हजार की शुद्ध आय होनी चाहिए। गौरतलब है कि इस संबंध में जिलाधिकारी डा. आदर्श सिंह ने पूरे मामले की जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
उधर, मंदिर के रिसीवर तहसीलदार कर्वी लालाराम ने बताया कि फिलहाल उन्हें कोई पत्र नहीं प्राप्त हुआ है। जैसे ही उन्हें पत्र प्राप्त होगा वह जिलाधिकारी के पास उसका जवाब दाखिल कर देंगे।
जनता की आवाज का सम्मान करें-महंत
चित्रकूट। बाला जी मंदिर के महंत रामनरेश दास जी के बड़े भाई मंगलदास ने बताया कि यह तो क्षेत्र के जनता की आवाज है और जिला प्रशासन को इसका सम्मान करते हुए मामले की जांच कर दोषियों को दंडित करना चाहिए। कहा कि इन पांच सालों में तहसील प्रशासन ने एक भी रुपए की माली मदद नही की है ना ही रिसीवर ने और न लेखपाल ने कभी मंदिर के पूजा पाठ व भोग प्रसाद के लिए कोई अनाज ही दिया। बताया कि अभी पिछले वर्ष तहसीलदार के सामने लेखपाल रामखेलावन ने बताया था कि कुल 126 कुंतल की पैदावार मंदिर की उपज से हुई है। लेकिन सिर्फ चार कुंतल गेहूं देने की बात की थी जिसे उन्होंने मना कर दिया था। उनका कहना है कि बीते दिनों तहसील प्रशासन ने उनके बाबागुरु नारायण दास को, जो जबलाश्रम सतना में रहते हैं, की सुपुर्दगी में मंदिर की प्रापर्टी को दे दिया है पर यह भी कागज में है। महंत रामनरेशदास का कहना है कि अगर तहसील प्रशासन मंदिर को महंत नारायणदास को सुपुर्द कर रहा है तो लेखपाल व तहसीलदार को कुल कृषि उपज के पांच साल के हिसाब के साथ उनको सौंप दे। उनका कहना है कि सीतापुर हल्का लेखपाल भी उसे तरह तरह की धमकी देता रहता है।
चित्रकूट। जारोमाफी व छेरिहा खुर्द के ग्रामीणों ने कर्वी तहसील के 185 बीघे पर विराजमान ठाकुर बालाजी महाराज मंदिर की जमीन कुर्क होने से लेकर अब तक की कृषि उपज की सघन जांच के लिए जिलाधिकारी को पत्र भेजा है। उन्होंने डीएम से मामले की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
जारोमाफी और छेरिहा के ग्रामीण रम्मो यादव, रामासरे रैदास, राममनोहर यादव, राजकुमार यादव, अरुण कुमार गौतम और चंद्रपाल आदि ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर बालाजी मंदिर की कृषि की पांच साल की न्यूनतम उपज का ब्यौरा देते हुए जिलाधिकारी से मामले की जांच की मांग की है। आरोप है कि रिसीवर व हल्का लेखपाल राम खेलावन पटेल ने मंदिर की कृषि उपज का बंदर बांट कर लिया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि गांव के कथित ग्राम प्रधान गेंदा लाल व गांव के अन्य पांच लोगों ने 350 कुंतल का गेहूं आश्रम में स्टाक किया था। जिसे गांव के बटाईदार मारकुंडी निवासी दयानंद उर्फ पुकूली व वर्तमान लेखपाल रामखेलावन पटेल पुत्र मोतीलाल पटेल ने एफसीआई गोदाम में बेच दिया और वहां से मिली चेक दयानंद ने अपने नाम से कटवाकर अपने खाते में जमा करा ली। जब ग्राम प्रधान ने एफआईआर की बात कही तो दोनों ने हिसाब देने का झांसा देकर मना लिया। ग्रामीणों ने बताया कि मदिर के नाम से कुल 185 बीघे जमीन में पांच साल में बटाई का निकालने के बाद भी बाइस लाख बीस हजार की उपज होती है जिसमें से अगर पांच साल में साढ़े सात लाख का खर्च करने के बाद भी लगभग 15 लाख सत्तर हजार की शुद्ध आय होनी चाहिए। गौरतलब है कि इस संबंध में जिलाधिकारी डा. आदर्श सिंह ने पूरे मामले की जानकारी लेकर आगे की कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
उधर, मंदिर के रिसीवर तहसीलदार कर्वी लालाराम ने बताया कि फिलहाल उन्हें कोई पत्र नहीं प्राप्त हुआ है। जैसे ही उन्हें पत्र प्राप्त होगा वह जिलाधिकारी के पास उसका जवाब दाखिल कर देंगे।
जनता की आवाज का सम्मान करें-महंत
चित्रकूट। बाला जी मंदिर के महंत रामनरेश दास जी के बड़े भाई मंगलदास ने बताया कि यह तो क्षेत्र के जनता की आवाज है और जिला प्रशासन को इसका सम्मान करते हुए मामले की जांच कर दोषियों को दंडित करना चाहिए। कहा कि इन पांच सालों में तहसील प्रशासन ने एक भी रुपए की माली मदद नही की है ना ही रिसीवर ने और न लेखपाल ने कभी मंदिर के पूजा पाठ व भोग प्रसाद के लिए कोई अनाज ही दिया। बताया कि अभी पिछले वर्ष तहसीलदार के सामने लेखपाल रामखेलावन ने बताया था कि कुल 126 कुंतल की पैदावार मंदिर की उपज से हुई है। लेकिन सिर्फ चार कुंतल गेहूं देने की बात की थी जिसे उन्होंने मना कर दिया था। उनका कहना है कि बीते दिनों तहसील प्रशासन ने उनके बाबागुरु नारायण दास को, जो जबलाश्रम सतना में रहते हैं, की सुपुर्दगी में मंदिर की प्रापर्टी को दे दिया है पर यह भी कागज में है। महंत रामनरेशदास का कहना है कि अगर तहसील प्रशासन मंदिर को महंत नारायणदास को सुपुर्द कर रहा है तो लेखपाल व तहसीलदार को कुल कृषि उपज के पांच साल के हिसाब के साथ उनको सौंप दे। उनका कहना है कि सीतापुर हल्का लेखपाल भी उसे तरह तरह की धमकी देता रहता है।