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चित्रकूट। अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि बुधवार को सत्रहवीं सदी में स्थापित जगदेव दास के अखाड़े से भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा का शुभारंभ हो गया। इस अवसर पर संतों के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार होता रहा। रथयात्रा को देखने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।
रथयात्रा बुधवार की शाम लगभग चार बजे जयदेव अखाड़े से प्रारंभ हुई। रास्ते में उसका कई जगह स्वागत किया गया। भगवान की आरती उतारी गई। इस मौके पर मेला सा नजारा था। भगवान के रथ को खींचने के लिए लोगों में गजब का उत्साह था। भगवान को प्रसाद में विशेष रूप से लच्छेदार चढ़ाया जा रहा था। रमाशंकर दास ने बताया कि रथयात्रा प्रतिदिन शाम चार बजे से शाम साढे़ सात बजे तक चलती है इसके बाद रात्रि का विश्राम होता है। उन्हाेंने बताया कि भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पहले दिन बुधवार को जगदेवदास के अखाड़े से कच्ची छावनी तक पहुंची है, यहां रात्रि विश्राम करेगी। दूसरे दिन गुरुवार को भगवान जगन्नाथ की सवारी छावनी से चलकर सदर बाजार पहुंचेगी। शुक्रवार को सदर बाजार से सोनेपुर पहुंचेगी। शनिवार को सोनेपुर में मेला लगेगा जिसमें राधा जी भगवान जगन्नाथ जी महाराज को मनाने जाएंगी। 14 जुलाई को यात्रा सोनेपुर से पुन: सदर बाजार होते हुए 16 जुलाई को जगदेव दास अखाड़े तक पहुंच जाएगी। इसके बाद 17 को अखाड़े में भंडारा प्रसाद का आयोजन होगा।
इनसेट -------------------
रथयात्रा के अलावा रासलीला है प्रमुख आकर्षण
सत्रहवीं शताब्दी में स्थापित अखाड़े के महंत श्री श्री 108 रामशरन दास जी महाराज ने अपने आराध्य भगवान जगन्नाथ जी की आरती व पूजन कर यात्रा की शुरुआत की। अखाड़े में रथयात्रा की साज सज्जा में लगे शिष्य रमाशंकर दास ने बताया कि अखाड़े से रथयात्रा निकाले जाने के अलावा वृंदावन के आए कलाकारों के द्वारा भाद्रपद मास में कृष्ण जन्माष्टमी से दो दिन के बाद रासलीला का आयोजन होता है। अखाडे़ के द्वारा संस्कृत महाविद्यालय भी संचालित होता है। राहुल सांस्कृत्यायन जैसी विभूतियां भी इस विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर चुकी हैं।
चित्रकूट। अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि बुधवार को सत्रहवीं सदी में स्थापित जगदेव दास के अखाड़े से भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा का शुभारंभ हो गया। इस अवसर पर संतों के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार होता रहा। रथयात्रा को देखने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।
रथयात्रा बुधवार की शाम लगभग चार बजे जयदेव अखाड़े से प्रारंभ हुई। रास्ते में उसका कई जगह स्वागत किया गया। भगवान की आरती उतारी गई। इस मौके पर मेला सा नजारा था। भगवान के रथ को खींचने के लिए लोगों में गजब का उत्साह था। भगवान को प्रसाद में विशेष रूप से लच्छेदार चढ़ाया जा रहा था। रमाशंकर दास ने बताया कि रथयात्रा प्रतिदिन शाम चार बजे से शाम साढे़ सात बजे तक चलती है इसके बाद रात्रि का विश्राम होता है। उन्हाेंने बताया कि भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पहले दिन बुधवार को जगदेवदास के अखाड़े से कच्ची छावनी तक पहुंची है, यहां रात्रि विश्राम करेगी। दूसरे दिन गुरुवार को भगवान जगन्नाथ की सवारी छावनी से चलकर सदर बाजार पहुंचेगी। शुक्रवार को सदर बाजार से सोनेपुर पहुंचेगी। शनिवार को सोनेपुर में मेला लगेगा जिसमें राधा जी भगवान जगन्नाथ जी महाराज को मनाने जाएंगी। 14 जुलाई को यात्रा सोनेपुर से पुन: सदर बाजार होते हुए 16 जुलाई को जगदेव दास अखाड़े तक पहुंच जाएगी। इसके बाद 17 को अखाड़े में भंडारा प्रसाद का आयोजन होगा।
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रथयात्रा के अलावा रासलीला है प्रमुख आकर्षण
सत्रहवीं शताब्दी में स्थापित अखाड़े के महंत श्री श्री 108 रामशरन दास जी महाराज ने अपने आराध्य भगवान जगन्नाथ जी की आरती व पूजन कर यात्रा की शुरुआत की। अखाड़े में रथयात्रा की साज सज्जा में लगे शिष्य रमाशंकर दास ने बताया कि अखाड़े से रथयात्रा निकाले जाने के अलावा वृंदावन के आए कलाकारों के द्वारा भाद्रपद मास में कृष्ण जन्माष्टमी से दो दिन के बाद रासलीला का आयोजन होता है। अखाडे़ के द्वारा संस्कृत महाविद्यालय भी संचालित होता है। राहुल सांस्कृत्यायन जैसी विभूतियां भी इस विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर चुकी हैं।