चंदौली। गत रविवार की शाम नौगढ़ के घने जंगल से गुजर रहे हथियारबंद नक्सलियों ने रास्ते में भेड़ चरा रहे एक गड़ेरिये के हाथ का पंजा देसी बम से उड़ा दिया। जिला चिकित्सालय में इलाज करा रहा परसहवां निवासी गड़ेरिया रामसूरत नक्सलियों के रास्ते में पड़ गया था। इस दौरान उसे डंडे से पीटा भी गया। नक्सलियों की इस धमक से पुलिस महकमे की चिंता बढ़ी है। वर्ष 2004 में हुए हिनउत कांड के बाद एक बार फिर जिले में नक्सली पदचाप सुनाई दी है।
रविवार को नौगढ़ के घने जंगल में परसहवां निवासी गड़रिया रामसूरत शाम के करीब पांच बजे भेड़ चरा रहा था। तभी 10-12 की संख्या में हथियार बंद लोग उधर से गुजरने लगे। अधिकतर की उम्र 30 से 40 के बीच रही होगी। उन्होंने रामसूरत को पकड़ लिया। पहले तो जमकर पीटा, फिर उसके हाथ में छोटा सा देशी बम पकड़ा दिया। उनमें से एक ने डंडे से प्रहार कर दिया। जिससे गड़ेरिये की हाथ की तीन उंगलियां उड़ गईं। रामसूरत अचेत होकर गिर गया। होश में आने के बाद वह किसी तरह अपने गांव पहुंचा और घटना की जानकारी दी। परिजन उसे रात में लगभग दो बजे जिला चिकित्सालय ले आए।
हिनउत कांड के बाद पिछले कई सालों से जनपद के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सलियों की गतिविधियां लगभग थम चुकी हैं। नक्सलियों की अगुवाई करने वाले इनामी लालब्रत कोल, मुन्ना विश्वकर्मा और अजीत कोल इस समय जेल में हैं। हालांकि 40 हजार का इनामी सुभाष बियार अभी भी पुलिस की पहुंच से बाहर है। वह जिंदा है या मर गया, इसे लेकर पुलिस महकमा भी असमंजस में है।
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सीओ आपरेशन श्यामदेव का कहना है कि मामला संज्ञान में है। यदि गड़ेरिये की बात सही है तो मामला बेहद गंभीर है। हालांकि यह बात भी सामने आई है कि गड़ेरिया जंगली सूअरों को मारने के लिए खुद देसी बम बनाता था और हो सकता है कि वह अपने बनाए बम का ही शिकार हुआ हो। फिर भी पुलिस दोनों पहलुओं को ध्यान में रखकर जांच कर रही है।