चंदौली। इस बार अच्छा मानसून आने के संकेत से धान की खेती के लिए शुभ माना जा रहा है। इसको लेकर किसानों की बांछें खिली हुई हैं। लेकिन उन क्षेत्रों के किसानों में भय व्याप्त है, जहां पिछले कई वर्षों से बाढ़ ने तबाही मचाई है। इन क्षेत्रों के किसान बाढ़ की आशंका से एक बार फिर भयभीत नजर आने लगे हैं। मौसम वैज्ञानिकों का आंकलन है कि भीषण गर्मी इस बात का संकेत दे रही है कि इस वर्ष मानसून अच्छा होगा। ऐसे में यदि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष बरसात हुई तो जनपद के कई इलाके एक बार फिर बाढ़ के चपेट में आ सकते हैं।
गौरतलब है कि जनपद में पिछले कई वर्षों से नदियों में आई बाढ़ के चलते कई इलाके पूरी तरह से प्रभावित होते रहे हैं। बाढ़ से सैकड़ों एकड़ धान की फसलें बर्बाद होती रही हैं, हजारों लोगों को घर से बेघर होना पड़ा है। शासन प्रतिवर्ष बाढ़ से प्रभावित इलाकों को राहत पहुंचाने की बात करता है, परंतु ऐसा होता नहीं है। पिछले वर्ष आई बाढ़ से कई ऐसे गांव प्रभावित हुए हैं, जहां की फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई और बाढ़ के पानी में सैकड़ों मकान जमींदोज हो गए। ऐसे में जब जब मानसून आने के संकेत मिलते हैं, तो जनपद के किसान इस बात को लेकर आशंकित हो जाते है कि कहीं उन्हें एक बार फिर बाढ़ की भयावहता से दो चार न होना पड़े। इस वर्ष भी अच्छे मानसून आने के संकेत मिलने व मौसम वैज्ञानिकों द्वारा अच्छी बरसात की भविष्यवाणी किए जाने से जनपद के किसान बाढ़ के संभावित खतरों की आशंका से भयभीत नजर आने लगे हैं।
चंदौली। इस बार अच्छा मानसून आने के संकेत से धान की खेती के लिए शुभ माना जा रहा है। इसको लेकर किसानों की बांछें खिली हुई हैं। लेकिन उन क्षेत्रों के किसानों में भय व्याप्त है, जहां पिछले कई वर्षों से बाढ़ ने तबाही मचाई है। इन क्षेत्रों के किसान बाढ़ की आशंका से एक बार फिर भयभीत नजर आने लगे हैं। मौसम वैज्ञानिकों का आंकलन है कि भीषण गर्मी इस बात का संकेत दे रही है कि इस वर्ष मानसून अच्छा होगा। ऐसे में यदि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष बरसात हुई तो जनपद के कई इलाके एक बार फिर बाढ़ के चपेट में आ सकते हैं।
गौरतलब है कि जनपद में पिछले कई वर्षों से नदियों में आई बाढ़ के चलते कई इलाके पूरी तरह से प्रभावित होते रहे हैं। बाढ़ से सैकड़ों एकड़ धान की फसलें बर्बाद होती रही हैं, हजारों लोगों को घर से बेघर होना पड़ा है। शासन प्रतिवर्ष बाढ़ से प्रभावित इलाकों को राहत पहुंचाने की बात करता है, परंतु ऐसा होता नहीं है। पिछले वर्ष आई बाढ़ से कई ऐसे गांव प्रभावित हुए हैं, जहां की फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई और बाढ़ के पानी में सैकड़ों मकान जमींदोज हो गए। ऐसे में जब जब मानसून आने के संकेत मिलते हैं, तो जनपद के किसान इस बात को लेकर आशंकित हो जाते है कि कहीं उन्हें एक बार फिर बाढ़ की भयावहता से दो चार न होना पड़े। इस वर्ष भी अच्छे मानसून आने के संकेत मिलने व मौसम वैज्ञानिकों द्वारा अच्छी बरसात की भविष्यवाणी किए जाने से जनपद के किसान बाढ़ के संभावित खतरों की आशंका से भयभीत नजर आने लगे हैं।