मुगलसराय। रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार पर रविवार को एक वर्ष की मासूूम बच्ची को छोड़कर उसके परिजन भाग निकले। सुबह नौ बजे के बाद जैसे-जैसे सूर्य की रोशनी तीखी होने लगी धूप व गर्मी से बच्ची मुंह में लगे बाटल को फेंककर चीखने लगी। सूचना पाकर मौके पर पहुंची आरपीएफ और जीआरपी जवानों ने कई यात्रियों से बच्ची के बाबत तस्दीक की, लेकिन जब कोई भी बताने वाला सामने नहीं आया तो अबोध बच्ची को सुरक्षा तंत्रों ने साथी संस्था के कार्यकर्ताओं को सुपुर्द कर दिया।
स्थानीय रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर चार पर यात्रियों के बैठने के लिए बने स्थान पर लगभग एक वर्ष की नन्हीं बच्ची मुंह में दूध का बोतल लिए खेल रही थी। दुनिया के रंजोगम से बेखबर नन्हीं जान प्लेटफार्म पर आने जाने वाले यात्रियों के शोर शराबे के बीच शायद अपनों के होने का भ्रम पाले कभी मुस्करा रही थी तो कभी हाथ पैर मार रही थी। काफी देर बाद भी जब धूप की किरणें तीखी होने लगीं और उसके बोतल का दूध समाप्त हो गया तो शायद उसे सहसा अपनी मां की याद आ गई। फिर क्या था पहले तो ठुनकी फिर रोने लगी और धीरे धीरे उसके रोने की आवाज तेज होती गई। सीमेंटेड टेबुल पर तौलिया के सहारे लिपटी बच्ची के रोने की आवाज जब आसपास के लोगों को हुई तो उनकी भी आंखें मानवता बस मासूम के अभिभावकों को टटोलने लगीं। काफी देर बाद भी आसपास कोई दिखाई नहीं दिया तो लोगों को आशंका हुई कि कहीं इसे कोई छोड़कर चंपत तो नहीं हो गया। धीरे-धीरे यह बात आसपास के लोगों को पता चला तो बरबस वे लोग भी रोती बच्ची की ओर मुखातिब हो गए। इस दौरान किसी ने इसकी जानकारी आरपीएफ और जीआरपी थाने को दी। प्लेटफार्म पर बच्ची के मिलने की खबर लगते ही सुरक्षा तंत्र के जवान पहुंच गए और बच्ची को चुप कराने लगे। लेकिन वह चुप होने का नाम नहीं ले रही थी। बच्ची को रोते देख एक रेल यात्री ने समीप के स्टाल से दूध खरीद कर उसके बाटल में भर कर मुंह में लगा दिया। इसे पीकर वह फिर खेलने लगी। इस संबंध में आरपीएफ के उप निरीक्षक सुनील कुमार पांडेय ने बताया कि बच्ची को प्लेटफार्म नंबर चार पर उसके परिजन छोड़कर चले गए हैं। उसे साथी संस्था के हवाले कर दिया गया है।