शिकारगंज। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों पर रोकथाम और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए वर्ष 2004 दिसंबर से काशी नरेश की ऐतिहासिक कोठी में कैंप की पीएसी की टुकड़ी को कहीं और स्थानांतरित कर दिया गया है। इससे क्षेत्र में कांबिंग अभियान पूरी तरह ठप है। पीएसी के जाने के बाद से ही गुलजार कोठी पुन: वीरान हो गई है। उनके न रहने से ग्रामीण भी अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। हिनउतघाट लैंडमाइंस आपरेशन के बाद से शिकारगंज क्षेत्र में स्थित काशी नरेश की कोठी में पीएसी की टुकड़ी ने कैंप किया था। पीएसी नक्सली गतिविधियों की टोह लेने के साथ ही क्षेत्र में अमन चैन बनाए रखने को लेकर सक्रिय थी। विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र दाखिल करने के दिन से ही पीएसी की टुकड़ी की ड्यूटी किसी दूसरे स्थान पर लगा दी गई ।इससे काशी नरेश की गुलजार रहने वाली कोठी में सियापा छा गया है। चुनाव बीत जाने के बाद भी पीएसी का कही भी अता पता नहीं है। इससे क्षेत्रीय ग्रामीण अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। इधर पीएसी के हटने से नक्सल प्रभावित शिकार गंज क्षेत्र में लगातार जारी कांबिंग ठप हो गया है। इससे ग्रामीणों में नक्सली गतिविधियों के बढ़ने की आशंका जन्म लेने लगी है। सूत्रों की मानें तो पुलिस की ओर से पीएसी को वापस लाने का प्रयास जारी है परंतु जिला प्रशासन अब तक सफल नहीं हो सका है। इस संबंध में पुलिस के अधिकारी भी मौन साधे हुए हैं।