सकलडीहा। राष्ट्रीय सम विकास योजना से करोड़ों रुपये व्यय कर जिला मुख्यालय पर सचल व स्थाई मृदा परीक्षण प्रयोगशाला बनने के बाद भी किसानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। मिट्टी परखने के लिए निर्धारित लक्ष्य को भी पूर्ण करने में विभाग फिसड्डी साबित हो रहा है। यही नहीं कुछ किसानों ने जांच के लिए मिट्टी दिया भी था पर उनका रिपोर्ट एक वर्ष बाद भी नहीं आया। इससे किसानों को यह भी पता नहीं चल पा रहा है कि उनकी मिट्टी में किस तत्व की कमी है। जिससे वे अंधाधुंध उर्वरक का प्रयोग करने को विवश हो हैं। बता दें कि किसानों के मिट्टी की जांच के लिए मृदा परीक्षण प्रयोगशाला तो खुला है, लेकिन इसका संचालन मात्र कागजों पर ही हो रहा है। राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत जनपद के सभी तहसीलों में मिट्टी जांच के लिए लैब की स्थापना के साथ साथ उनका लक्ष्य भी रखा गया था। परंतु लक्ष्य के अनुरूप किसानों के मिट्टी की जांच नहीं हो सकी जबकि जनपद में 48 हजार किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसमें सदर तहसील को 28 हजार, चकिया तहसील में 10 हजार तथा सकलडीहा तहसील के 10 हजार किसानों का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। उक्त तहसीलों में लक्ष्य से काफी कम किसानोें के खेतों की मिट्टी की जांच के लिए नमूना लिया गया है। सबसे दयनीय स्थिति सदर तहसील की है जहां 28 हजार के लक्ष्य का निर्धारण किया गया, लेकिन एक भी जांच का नमूना नहीं लिया गया। चकिया में 10 हजार के सापेक्ष में एक हजार नमूने लिए गए हैं। सकलडीहा तहसील में भी 10 हजार के सापेक्ष में मात्र एक हजार किसानाें के खेतों की मिट्टी का नमूना लिया गया। जिन किसानों के मिट्टी के नमूने लिए भी गये हैं उनका रिपोर्ट एक वर्ष बाद भी किसानों को नही दिया गया।