सकलडीहा। सर्व शिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार द्वारा वैसे तो बच्चों को नि:शुल्क ड्रेस के साथ ही मध्याह्न भोजन भी परोसा जा रहा है मगर इतनी दरियादिली के बावजूद परिषदीय विद्यालयों में अभी भी बच्चों की परीक्षाएं ब्लैक बोर्ड के सहारे हो रहीं हैं। ब्लैक बोर्ड पर ही प्रश्न लिखे जा रहे हैं और उत्तर पुस्तिकाओं को बच्चे अपने ही घरों से ले आ रहे हैं। हालांकि इतना सब कुछ होने के बावजूद शिक्षा महकमे के आलाधिकारी इस पूरी कवायद से अभी भी अनभिज्ञ ही बने हुए हैं।
गौरतलब है कि सर्वशिक्षा अभियान के साथ ही शिक्षा के अधिकार अधिनियम का कानून बना दिया गया है। इसके माध्यम से स्कूलों में रंगाई पुताई के साथ ही कापी किताब एवं मुफ्त में ही यूनिफार्म के साथ साथ पूरी शिक्षा मुफ्त कर दी गई है। मगर सिक्के का दूसरा पहलू आश्चर्यजनक होने के साथ साथ शिक्षा महकमे की दयनीय स्थिति को भी दर्शा रही है। इसका एक जीता जागता उदाहरण है जनपद के नौ विकास खंडों में स्थित परिषदीय विद्यालयों के पास ऐसा मद नहीं है जिससे कि बच्चों की परीक्षाएं कराई जाए। सरकारी मद न होने के कारण विद्यालयों में बच्चों के लिए प्रश्न को ब्लैक बोर्ड पर ही लिखा जा रहा है तथा उसे हल करने के लिए उत्तर पुस्तिका छात्रों के घरों से ही मंगाई जा रही हैं। इतना ही नहीं विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो शिक्षा अधिकार अधिनियम के लागू होने से परीक्षा में अनुपस्थित बच्चों की कापी भी अध्यापक स्वयं लिख रहे हैं। जनपद के नौ ब्लाकों में लगभग 1040 विद्यालयों में इस प्रकार की स्थिति सामने आ रही है। इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी अमित दूबे का कहना है कि इस प्रकार की शिकायत तो अभी तक नहीं मिली है, जांच कराई जाएगी तथा दोषी पाए जाने वाले अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सकलडीहा। सर्व शिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार द्वारा वैसे तो बच्चों को नि:शुल्क ड्रेस के साथ ही मध्याह्न भोजन भी परोसा जा रहा है मगर इतनी दरियादिली के बावजूद परिषदीय विद्यालयों में अभी भी बच्चों की परीक्षाएं ब्लैक बोर्ड के सहारे हो रहीं हैं। ब्लैक बोर्ड पर ही प्रश्न लिखे जा रहे हैं और उत्तर पुस्तिकाओं को बच्चे अपने ही घरों से ले आ रहे हैं। हालांकि इतना सब कुछ होने के बावजूद शिक्षा महकमे के आलाधिकारी इस पूरी कवायद से अभी भी अनभिज्ञ ही बने हुए हैं।
गौरतलब है कि सर्वशिक्षा अभियान के साथ ही शिक्षा के अधिकार अधिनियम का कानून बना दिया गया है। इसके माध्यम से स्कूलों में रंगाई पुताई के साथ ही कापी किताब एवं मुफ्त में ही यूनिफार्म के साथ साथ पूरी शिक्षा मुफ्त कर दी गई है। मगर सिक्के का दूसरा पहलू आश्चर्यजनक होने के साथ साथ शिक्षा महकमे की दयनीय स्थिति को भी दर्शा रही है। इसका एक जीता जागता उदाहरण है जनपद के नौ विकास खंडों में स्थित परिषदीय विद्यालयों के पास ऐसा मद नहीं है जिससे कि बच्चों की परीक्षाएं कराई जाए। सरकारी मद न होने के कारण विद्यालयों में बच्चों के लिए प्रश्न को ब्लैक बोर्ड पर ही लिखा जा रहा है तथा उसे हल करने के लिए उत्तर पुस्तिका छात्रों के घरों से ही मंगाई जा रही हैं। इतना ही नहीं विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो शिक्षा अधिकार अधिनियम के लागू होने से परीक्षा में अनुपस्थित बच्चों की कापी भी अध्यापक स्वयं लिख रहे हैं। जनपद के नौ ब्लाकों में लगभग 1040 विद्यालयों में इस प्रकार की स्थिति सामने आ रही है। इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी अमित दूबे का कहना है कि इस प्रकार की शिकायत तो अभी तक नहीं मिली है, जांच कराई जाएगी तथा दोषी पाए जाने वाले अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।