चंदौली। जिले में प्रशासनिक उपेक्षा के धोबिया पाठ से मुलायम सिंह यादव के जमाने के अखाड़े चित होते जा रहे हैं। हालात इतने बदतर हो गए हैं कि अब अधिकांश अखाड़ों पर न तो कोई पहलवान जोर आजमाइश करता दिखाई पड़ता है और न ही इन पर रियाज के लिए कोई व्यवस्था ही है। इसके पीछे प्रशासनिक उपेक्षा मुख्य कारण माना जा रहा है। गौरतलब है कि 1994-95 में प्रदेश में सत्तारूढ़ मुलायम सिंह यादव सरकार ने जिले के प्रत्येक विकास खंड में भारतीय कुश्ती को बढ़ावा देने के लिए एक अखाड़े की स्थापना करने की योजना बनाई थी। योजना को साकार करने के लिए सरकार द्वारा जिले में चार लाख 91 हजार 550 रुपये की धनराशि मुहैया कराई गई। इसके तहत जिले के प्रत्येक अखाड़े के निर्माण के लिए विकास खंड स्तर पर एक अखाड़ा स्थापित करने के लिए 67 हजार 950 रुपये तब ग्रामीण अभियंत्रण विभाग (आरईएस) को अवमुक्त किए गए। इससे टीन शेड युक्त अखाड़े के साथ-साथ एक हैंडपंप गड़वाने का प्रावधान था। योजना के तहत चंदौली सदर ब्लाक परिसर, सकलडीहा विकास खंड के फगुइयां, चहनियां विकास खंड के बेलवानी गांव, धानापुर विकास परिसर, चकिया विकास खंड के दूबेपुर, शहाबगंज विकास खंड, बरहनी विकास क्षेत्र के मनराजपुर में तथा नियामताबाद ब्लाक परिसर में अखाड़ों का निर्माण कराया गया। नौगढ़ ब्लाक में अखाड़ा नहीं बनवाया जा सका। इससे उसका पैसा शासन को वापस कर दिया गया। इन अखाड़ों में सिर्फ नियामताबाद ब्लाक परिसर में बनवाए गए अखाड़े के पास एक हैंडपंप लगाया गया था, जो आज खराब पड़ा है। सबसे बड़ी बात यह है कि बाकी ब्लाकों में बने अखाड़ों में आज तक हैंडपंप नहीं लगवाया जा सका। जबकि इसके लिए भी तब धनअवमुक्त हुए थे। यह हैंडपंप क्यों नहीं लगे इस बाबत कोई बताने वाला नहीं है। चहनियां विकास खंड के बेलवानी गांव में बने अखाड़े में ही सिर्फ पहलवान रियाज करते हैं। बाकी अखाड़ों की स्थिति प्रशासनिक उपेक्षा व रखरखाव के अभाव में पूरी तरह से दयनीय हो चुकी है और वहां पहलवानों के रियाज की कौन कहे अखाड़े खुद अपने अस्तित्व को लेकर जूझ रहे हैं। हालांकि बाद में सरकार बदलने के बाद इन अखाड़ों के प्रति अफसरों की नजरिया भी बदल गई। इससे वे अपनी सार्थकता साबित नहीं कर पाए।