बुलंदशहर। सीबीएसई और आईसीएसई के परीक्षा परिणाम के बाद छात्र अब करियर और उसके अनुरूप पाठ्यक्रम के चयन को लेकर परेशान हैं। छात्र ही नहीं अभिभावक भी बच्चों के भविष्य को लेकर काफी परेशान हैं। जिले के कई टॉपर्स दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिले की कोशिश कर रहे हैं। वे सीनियर छात्रों और शिक्षकों के साथ इंटरनेट पर भी विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।
आमतौर पर दोेस्तों के बीच होने वाली मौजमस्ती और आउटिंग-शॉपिंग की बातचीत भी इन दिनों कैरियर पर सिमट आई है। सभी की इच्छा है कि वे ऐसा पाठ्यक्रम चुनें जो अंतत: उनके कैरियर के लिए मददगार साबित हो। अच्छे अंक पाने वाले अधिकतर छात्र-छात्राएं डॉक्टरी और इंजीनियरिंग जैसे परम्परागत कैरियर के अलावा आर्कि टेक्चर, फैशन डिजाइनिंग, सीए, पीआर, जर्नलिज्म जैसे क्षेत्रों में भी जाना चाहते हैं। हालांकि इसे लेकर बच्चों के साथ ही पेरेंट्स पर भी काफी दबाव है।
टापर्स छात्रों की प्राथमिकता सरकारी नौकरी नहीं बल्कि निजी क्षेत्र में खुद को चमकाना है। मल्टी नेशनल कंपनियों की मोटी सेलरी और सुविधाएं उनके लिए अधिक आकर्षण की वजह है। विशेषज्ञों का कहना है कि करियर का चुनाव करते समय पर्याप्त सोच-विचार जरूरी है। एसबीएमटी की प्राचार्य अंशु बंसल इसे 12वीं के बाद के समय को टर्निंग पाइंट मानती हैं। इस समय लिया गया फैसला पूरे जीवन पर असर डालता है। ऐसे में बच्चे की क्षमता, उसकी इच्छा और परिवार के सहयोग से कोई लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए।
अभिभावकों को अपनी इच्छाओं का बोझ बच्चों पर नहीं लादना चाहिए। इससे दिक्कत सामने आती हैं।
- डाॅ. बसंत चौधरी, मनोचिकित्सक
बुलंदशहर। सीबीएसई और आईसीएसई के परीक्षा परिणाम के बाद छात्र अब करियर और उसके अनुरूप पाठ्यक्रम के चयन को लेकर परेशान हैं। छात्र ही नहीं अभिभावक भी बच्चों के भविष्य को लेकर काफी परेशान हैं। जिले के कई टॉपर्स दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिले की कोशिश कर रहे हैं। वे सीनियर छात्रों और शिक्षकों के साथ इंटरनेट पर भी विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।
आमतौर पर दोेस्तों के बीच होने वाली मौजमस्ती और आउटिंग-शॉपिंग की बातचीत भी इन दिनों कैरियर पर सिमट आई है। सभी की इच्छा है कि वे ऐसा पाठ्यक्रम चुनें जो अंतत: उनके कैरियर के लिए मददगार साबित हो। अच्छे अंक पाने वाले अधिकतर छात्र-छात्राएं डॉक्टरी और इंजीनियरिंग जैसे परम्परागत कैरियर के अलावा आर्कि टेक्चर, फैशन डिजाइनिंग, सीए, पीआर, जर्नलिज्म जैसे क्षेत्रों में भी जाना चाहते हैं। हालांकि इसे लेकर बच्चों के साथ ही पेरेंट्स पर भी काफी दबाव है।
टापर्स छात्रों की प्राथमिकता सरकारी नौकरी नहीं बल्कि निजी क्षेत्र में खुद को चमकाना है। मल्टी नेशनल कंपनियों की मोटी सेलरी और सुविधाएं उनके लिए अधिक आकर्षण की वजह है। विशेषज्ञों का कहना है कि करियर का चुनाव करते समय पर्याप्त सोच-विचार जरूरी है। एसबीएमटी की प्राचार्य अंशु बंसल इसे 12वीं के बाद के समय को टर्निंग पाइंट मानती हैं। इस समय लिया गया फैसला पूरे जीवन पर असर डालता है। ऐसे में बच्चे की क्षमता, उसकी इच्छा और परिवार के सहयोग से कोई लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए।
अभिभावकों को अपनी इच्छाओं का बोझ बच्चों पर नहीं लादना चाहिए। इससे दिक्कत सामने आती हैं।
- डाॅ. बसंत चौधरी, मनोचिकित्सक