खुर्जा-अलीगढ़ मार्ग पर ईसनपुर गांव के पास हुए हादसे का नजारा रोंगटे खड़ा कर देने वाला था। यात्रियों से भरी दो बसें और टवेरा के यात्रियों में कोहराम मचा था। चारो ओर खून-खून। क्षतिग्रस्त वाहनों में लोग इतनी बुरी तरह से फंसे थे कि वे खुद को हिला भी नहीं पा रहे। टवेरा के यात्री तो जैसे मौत के मुंह से निकल आए। दो घंटे तक बस के नीचे दबी रही टवेरा में से जब 10 वर्षीय बच्चे गुलफाम को निकाला गया तो उसने सवाल किया, ‘अंकल मुझे बचा लोगे ना...।’ इस सवाल ने बचावकर्मियों की आंखें नम कर दीं।
घंटे भर मौत से जूझे टवेरा में सवार चार यात्री
दुर्घटना के बाद टवेरा में मासूम गुलफाम, असगरी, खुर्शीद और चालक जाकिर लहूलुहान होकर फंस गये। ग्रामीणों और पुलिसकर्मियों ने जान बचाने की गुहार लगा रहे यात्रियाें को निकालने का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हुए। एक घंटे बाद पहुंची जेसीबी और ग्रामीणों की मदद से यात्रियों को निकाल कर अस्पताल पहुंचाया गया।
हादसे का लहूलुहान मंजर देख कांप उठी रूह
तीन वाहनों की भिड़ंत और लहूलुहान यात्रियों और शवों का मंजर जिसने भी देख उसकी रूह कांप गई। तीन क्षतिग्रस्त वाहनों से निकाले जा रहे यात्रियों को देख लोगों का कलेजा मुंह को आ गया।
सांत्वना देने जा रहे परिवार का मौत से सामना
खुर्जा। मौलाना आजाद नगर के 25 फुट मार्ग स्थित जमालपुर, अलीगढ़ निवासी परिवार मंगलवार सुबह टवेरा कार में सवार होकर दिल्ली ओखला मंडी के समीप हुई मौत के बाद सांत्वना देने जा रहा था, लेकिन रास्ते में परिवार का मौत से ऐसा सामना हुआ कि उनकी रूह कांप गई। कार सवार सभी घायलों को जटिया सरकारी अस्पताल में इलाज के बाद अलीगढ़ रेफर किया गया। टवेरा सवार घायल बीना पत्नी हनीफ की माने तो ओखला दिल्ली में उसकी रिश्तेदारी में तीन दिन पूर्व मौत हो गई थी। सूचना पर वे लोग मंगलवार सुबह कार में सवार होकर निकले, लेकिन रास्ते में मौत से सामना हो गया। कार में 12 लोग सवार थे।
कार टूरिस्ट बस से टकराने के बाद घिसटती हुई हाईवे के किनारे गहरे गड्ढे में लटक गई और उसके ऊपर टूरिस्ट बस का अगला हिस्सा चढ़ गया। सभी लोग जान बचाने की गुहार लगाते चीखने लगे। बीना की माने तो कुछ पल के लिए ऐसा लगा कि अब जान नहीं बचेगी। ग्रामीणों ने मदद कर जान बचा ली।
दिल दहलाने वाला था टवेरा कार का मंजर
हादसे के बाद टवेरा कार का मंजर दिल दहला देने वाला था। कार में फंसे यात्री लोगों से निकालने की गुहार लगाते चीख रहे थे, लेकिन मदद करने आए ग्रामीण लाख प्रयास के बाद भी कार का गेट नहीं खोल पा रहे थे। किसी प्रकार लोगों ने एक ओर से सहारा लगाकर कार के शीशे तोड़े, तब जाकर लोगों को कार से निकालकर अस्पताल पहुंचाया गया।
ट्रामा सेंटर से वंचित है एक्सीडेंटल जोन
खुर्जा। जनपद का सबसे बड़ा एक्सीडेंटल जोन माना जाने वाला खुर्जा आज भी ट्रामा सेंटर से वंचित है। एनएच-91 के किनारे और दिल्ली-हावड़ा ट्रैक के समीप बसे होने के कारण पॉटरी नगरी पिछले कुछ वर्षों में हादसों की गवाह बन चुकी है। इसके बाद भी जन प्रतिनिधि, शासन और प्रशासन की उपेक्षा के कारण यहां ट्रामा सेंटर बनाने को कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए है।
नगर में स्थित सरकारी जटिया अस्पताल भी पिछले कुछ वर्षों से स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। हालांकि बड़े हादसे होने के बाद यहां तैनात स्टाफ मुस्तैदी दिखाते हुए पीड़ितों का इलाज करता है, लेकिन संसाधनों की कमी स्टाफ को बेबस कर देती है।
मदद को आगे आए ग्रामीण
जिसने भी दर्द भरी चीख-पुकार सुनी। मदद को उसके पैर खुद-ब-खुद उठ गए। न जात देखी न पात। देखी तो बस एक चीज कि किसी तरह घायलों को मदद पहुंचाई जा सके। उन्हें ढांढ़स बंधाने के लिए किसी ने अल्लाह-हो-अकबर कहा तो किसी ने बम भोले के नारे लगाए लेकिन मदद करने वालों में न कोई हिंदू था न मुसलमान। मदद को बढ़ने वाले हाथ महज इंसानियत के थे।
संसाधनों की कमी ने और बढ़ाया घायलों का दर्द
हाईवे पर हादसे के बाद आसपास के ग्रामीण और सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य में जुट गई। प्रशासन ने टवेरा को गड्ढे से निकालने को एक क्रेन मौके पर मंगा ली। क्रेन राहत कार्य में मदद में काम आने के बजाय बाधा बनकर सड़क पर खड़ी हो गई। बाद में दूसरी क्रेन और जेसीबी को बुलाकर चारों यात्रियों को बाहर निकालकर अस्पताल पहुंचाया।
उधर, सरकारी जटिया अस्पताल में घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद हायर सेंटर रेफर करने का कार्य तेजी से किया जा रहा था। चार एंबुलेंस घायलोें को ले जाने पर लगा दीं, सभी घायलों को समय पर रेफर नहीं किया जा सका।