रबूपुरा (सिकंदराबाद)। हरियाणा के दबंग किसानों ने यूपी के काश्तकारों की करीब 1200 एकड़ कृषि भूमि पर जबरन कब्जा किया हुआ है। खेती की जमीन पर कब्जे से यूपी के किसान परेशान में हैं। पीड़ित किसान भूमि को मुक्त कराने के लिए प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं। उनका आरोप है कि प्रशासन किसानों का पक्ष सुनने को तैयार नहीं हैं। इस बेरुखी से गैर प्रांत के किसानों के हौसले बुलंद हैं।
यूपी-हरियाणा बार्डर पर यमुना नदी के आसपास पलवल के गांव सोला, नेहरुका सहित पांच ग्राम सभाओं के दबंग किसानों ने यूपी के गांव फलैदा, चिरौली, बागड़, काली गढ़ी (गौतमबुद्ध नगर) के सैकड़ों किसानों की 1200 एकड़ कृषि भूमि पर कब्जा किया हुआ है। इन किसानों का कहना है कि अगर यूपी के किसान अपनी जमीन पर मालिकाना हक जताने बार्डर पर जाते हैं, तो हरियाणा के किसान उनको दौड़ा देते हैं। हैरत की बात यह है कि स्थानीय प्रशासन जानबूझ कर गैर प्रांत के किसानों का साथ दे रहा है। कृषि भूमि पर दूसरों का कब्जा होने से किसान परेशान हैं। फलैदा गांव के किसान ब्रिजेश का कहना है कि खसरा और खतौनी पर स्थानीय किसानों का नाम दर्ज है। ऐसे में भी प्रशासन से साठगांठ कर हरियाणा के किसान दबंगई दिखाकर किसानों से मारपीट करते हैं।
मामले की जांच की जा रही है। हरियाणा सरकार और किसानों से इस संबंध में कई बार वार्ता हो चुकी है। जल्दी ही ठोस परिणाम आने की संभावना है।
-सतीश पाल, एसडीएम जेवर
47 साल का विवाद
सिरौला बागड़ के किसान बाबू खां का कहना है कि 1965 में इस जमीन पर हरियाणा के किसानों के नाम दर्ज थे। 1975 में दीक्षित अवार्ड के बाद यह जमीन यूपी के राज्य टैरिटोरियल जूरिस्डिक्शन में आ गई। तब से इस जमीन की बागडोर यूपी के किसानों के हाथ में आ गई।
ये हैं पीड़ित किसान
सिरौली बागड़ : मेघराज सिंह, ज्ञानी ,रोहताश, जगदीश, किरन, हरि सिंह, रौनक, बल्ला खां, बाबू खां, फकीरा, शेर सिंह आदि। फलैदा : ब्रिजेश, छिद्दी सिंह, वीरेंद्र, गदर सिंह, डालन आदि सहित करीब 122 किसानों की जमीन पर हरियाणा के किसानों का कब्जा है।