- जनवरी से अब तक 11 दवाइयों के नमूने आए फेल
संवाद न्यूज एजेंसी
बिजनौर। जिले में दवाइयों के नकली पाए जाने का सिलसिला जारी है। एक बार फिर चार एंटीबायोटिक दवाओं के नमूने फेल आए हैं। जनवरी से अब तक 11 दवाइयों के नमूने फेल आ चुके हैं।
औषधि विभाग के मुताबिक दिसंबर माह में दो मेडिकल स्टोरों से चार एंटीबायोटिक दवाइयों के नमूने एकत्र किए थे। 21 दिसंबर 2022 को राधे कृष्णा मेडिकोज अल्हैपुर, धामपुर से एक्यूफिक्स-50 टेबलेट का नमूना लिया था, जो अमेस्टेर प्रयोगशाला, इकाई दो हिलटॉप, बद्दी, हिमाचल प्रदेश कंपनी की बनी थी। इसमें मानक से भी कम साल्ट पाया गया। जिसके चलते जांच में यह नमूना फेल पाया गया।
19 दिसंबर 2022 को चांदपुर में पाल मेडिकल स्टोर से जिन्क्सो-625 सीवी टेबलेट का नमूना लिया, जो जिनेक्स फॉर्माकॉन सिरमौर की बनी थी। इसके अलावा मैक्सिम-ओ एलबी का नमूना लिया था। यह दवा मेडिकल फार्मास्यूटिकल प्राइवेट लिमिटेड हरिद्वार की बनी थी। साथ ही जेनफी-ओ दवा का नमूना लिया था, यह दवा अमेस्टेर प्रयोगशाला, बद्दी, हिमाचल प्रदेश कंपनी की बनी थी। सभी दवाई मानक से कम साल्ट मिलने पर फेल पाई गई।
फरवरी में एसीरेम-एसपी टेबलेट का नमूना आया था फेल
फरवरी माह में एक दर्द निवारक टेबलेट का नमूना अधोमानक पाया गया है। क्वालिटी मेडिकोज मोहल्ला शाह विलायत मंडावर से 17 दिसंबर 2022 को एसीरेम-एसपी टेबलेट का नमूना लिया था। यह टेबलेट जेबी रेमेडिज प्राइवेट लिमिटेड रूड़की की बनी हुई है।
इन दवाओं के जनवरी में फेल आए थे नमूने
जनवरी में चार एंटीबायोटिक दवा के नमूने फेल पाए गए। जबकि दो नमूने जांच में अधोमानक मिले हैं। दवाओं के मिश्रण के नाम पर सिर्फ खड़िया पाउडर ही मिला है। जनवरी में एमोक्सीसिलिन, मोडेक्स-200, मोक्सिम-एजेड, एमोक्सीसिलिन के नमूने पूरी तरह फेल आए। जबकि लैक्सिमो टैबलेट और रबी डीएसआर का नमूना जांच में अधोमानक मिला था।
35 रुपये की टेबलेट, दवाई के नाम पर सिर्फ मिट्टी
जिले में नकली पाई गई दवाइयों की 10 गोलियों का पत्ता 350 से 400 रुपये में बेचा जा रहा था। इसका जिक्र औषधि निरीक्षक उमेश भारती ने अपनी रिपोर्ट में किया है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक गोली की कीमत 35 से 40 रुपये पड़ रही है। मगर इन गोलियों से मरीजों को कोई फायदा नहीं मिलता। औषधि निरीक्षक ने नकली दवाई पाए जाने पर चिंता व्यक्त की है। क्योंकि पैसे देने के बाद भी मरीज को सही इलाज नहीं मिल रहा है।
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दिसंबर में लिए दवाइयों के नमूनों की जांच रिपोर्ट आ गई है। चार दवाई नकली पाई गई हैं। जिनमें सिर्फ मिट्टी ही मिली है। कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी चल रही है। दवाइयों के नमूने लेने का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा - उमेश भारती, औषधि निरीक्षक
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संक्रमण होने पर एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं। ऐसे में जब दवाएं नकली होंगी तो मरीज ठीक नहीं होगा, बल्कि उसकी बीमारी सही दवा न मिलने के कारण और बढ़ती चली जाएगी - डॉ. पंकज त्यागी, वरिष्ठ फिजीशियन