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बिजनौर। सिंचाई विभाग के सीमा विवाद में तटीय गांव के हजारों लोगों की सांसें अटकती नजर आ रही हैं। तटीय गांव अपने ही जिले में परदेशी बन गए हैं। रावली में गंगा के रौद्र रूप को देखकर रुदन मचा हुआ है तो प्रशासन बेरहम बना बैठा है। केवल गंगा बैराज के पुल व तटब्ंाध को बचाने की कवायद की जा रही है, गांवों से किसी को कोई सरोकार नहीं है। तटबंध से अलग एक पत्थर भी गांव को बचाने के लिए नहीं लगाया जा रहा है। बिजनौर सिंचाई खंड रावली व ब्रह्मपुरी को धामपुर डिवीजन में बता रहा है तो धामपुर डिवीजन इसे बिजनौर क्षेत्र में होने की बात कहर राहत कार्याें से पल्ला झाड़ रहा है।
गंगा किसी से रोके नहीं रुक रही है। एक एक कर गांवों को निगल रही है। गांवों को बचाने के लिए शुरू से ही कोई प्रयास नहीं हुआ है और न ही अब किया जा रहा है। तटबंध पर खतरा बढ़ा तो प्रशासन को आंच लगी। रात दिन तटबंध पर काम चल रहा है। तटबंध के बिल्कुल करीब में ब्रह्मपुरी और रावली गांवों को बचाने के लिए कोई कवायद नहीं हुई। करीब चार से पांच सौ मजदूर और पत्थरों से लदे दर्जनोें ट्रक तटब्ंाध पर ही लगे हुए हैं, जिससे गंगा ने रावली व ब्रह्मपुरी की ओर कटान की रफ्तार बढ़ा दी है। रावली के लोगों में रुदन मचा हुआ है। रावली के बिजेंद्र सिंह का कहना है कि प्रशासन उनके गांव को नहीं बचा रहा है। सिंचाई विभाग के अधिकारी उनके गांव को धामपुर डिवीजन का गांव बता रहे हैं और यहां पर पत्थर लगाकर या स्टड बनाकर भूमि कटान रोकने से हाथ खड़े कर रहे हैं। सीमा विवाद में उनका गांव त्रिशंकु बना हुआ है।
बिजनौर खंड के अधिकारी अपने क्षेत्र में रावली नहीं होने की बात कहकर मदद नहीं कर रहे हैं और धामपुर खंड के अधिकारी भी उनके गांव की कोई सुध नहीं ले रहे है। इन गांवोें के किसानों की जमीन गंगा निगल गई है और अब घर भी गंगा में जाते देख लोगों की आंखों से आंसू झलकने लगे हैं।
अफजलगढ़ सिंचाई खंड धामपुर के एक्सईएन नंदेश्वर जैन का कहना है कि रावली गांव उनकी डिवीजन में नहीं आता है, यह मध्य गंगा पांच के अंतर्गत आता है। उनकी डिवीजन के अंतर्गत गंगा द्वारा मीरापुर और कोहरपुर में तेजी के साथ कटान हो रहा है, जिसे रोक ने के लिए स्टड बनाए जा रहे हैं। उधर बिजनौर सिंचाई खंड के एक्सईएन वीके राठी का कहना है कि रावली गांव धामपुर डिवीजन में आता है।
बिजनौर। सिंचाई विभाग के सीमा विवाद में तटीय गांव के हजारों लोगों की सांसें अटकती नजर आ रही हैं। तटीय गांव अपने ही जिले में परदेशी बन गए हैं। रावली में गंगा के रौद्र रूप को देखकर रुदन मचा हुआ है तो प्रशासन बेरहम बना बैठा है। केवल गंगा बैराज के पुल व तटब्ंाध को बचाने की कवायद की जा रही है, गांवों से किसी को कोई सरोकार नहीं है। तटबंध से अलग एक पत्थर भी गांव को बचाने के लिए नहीं लगाया जा रहा है। बिजनौर सिंचाई खंड रावली व ब्रह्मपुरी को धामपुर डिवीजन में बता रहा है तो धामपुर डिवीजन इसे बिजनौर क्षेत्र में होने की बात कहर राहत कार्याें से पल्ला झाड़ रहा है।
गंगा किसी से रोके नहीं रुक रही है। एक एक कर गांवों को निगल रही है। गांवों को बचाने के लिए शुरू से ही कोई प्रयास नहीं हुआ है और न ही अब किया जा रहा है। तटबंध पर खतरा बढ़ा तो प्रशासन को आंच लगी। रात दिन तटबंध पर काम चल रहा है। तटबंध के बिल्कुल करीब में ब्रह्मपुरी और रावली गांवों को बचाने के लिए कोई कवायद नहीं हुई। करीब चार से पांच सौ मजदूर और पत्थरों से लदे दर्जनोें ट्रक तटब्ंाध पर ही लगे हुए हैं, जिससे गंगा ने रावली व ब्रह्मपुरी की ओर कटान की रफ्तार बढ़ा दी है। रावली के लोगों में रुदन मचा हुआ है। रावली के बिजेंद्र सिंह का कहना है कि प्रशासन उनके गांव को नहीं बचा रहा है। सिंचाई विभाग के अधिकारी उनके गांव को धामपुर डिवीजन का गांव बता रहे हैं और यहां पर पत्थर लगाकर या स्टड बनाकर भूमि कटान रोकने से हाथ खड़े कर रहे हैं। सीमा विवाद में उनका गांव त्रिशंकु बना हुआ है।
बिजनौर खंड के अधिकारी अपने क्षेत्र में रावली नहीं होने की बात कहकर मदद नहीं कर रहे हैं और धामपुर खंड के अधिकारी भी उनके गांव की कोई सुध नहीं ले रहे है। इन गांवोें के किसानों की जमीन गंगा निगल गई है और अब घर भी गंगा में जाते देख लोगों की आंखों से आंसू झलकने लगे हैं।
अफजलगढ़ सिंचाई खंड धामपुर के एक्सईएन नंदेश्वर जैन का कहना है कि रावली गांव उनकी डिवीजन में नहीं आता है, यह मध्य गंगा पांच के अंतर्गत आता है। उनकी डिवीजन के अंतर्गत गंगा द्वारा मीरापुर और कोहरपुर में तेजी के साथ कटान हो रहा है, जिसे रोक ने के लिए स्टड बनाए जा रहे हैं। उधर बिजनौर सिंचाई खंड के एक्सईएन वीके राठी का कहना है कि रावली गांव धामपुर डिवीजन में आता है।