बिजनौर। महाकु ंभ के चलते इस बार पलेज की खेती पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। गंगा नदी में जलस्तर गत वर्षों के मुकाबले अधिक होने के कारण पलेज की बुआई प्रभावित हो गई है। नतीजा इस बार सब्जियों के दाम बाजार में लोगों के हाथ जलाएंगे। बालावाली से लेकर जलीलपुर क्षेत्र तक हजारों हेक्टेयर क्षेत्रफल में पलेज की बुआई होती है। हर वर्ष इन दिनों गंगा में पानी का जलस्तर कम ही रहता था, जिससे लोग गंगा की रेती पर पलेज उगा लेते थे, लेकिन इस बार महाकुंभ के चलते गंगा जल का प्रवाह बढ़ाने के लिए अधिक पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे गंगा की मैली साफ हो सके और संतों को प्रदूषण रहित गंगा जल उपलब्ध हो। बार बार अधिक पानी छोड़े जाने से गंगा व आसपास के क्षेत्रफल में पानी फैल जाता है। पानी के कारण पलेज की बुआई प्रभावित हो गई है। पलेजियों के मुताबिक जनवरी माह में पलेज की अगेती प्रजाति की बुआई होती है और मार्च में फसल तैयार हो जाती है। पलेज में खीरे, ककड़ी, टमाटर, तरबूज, लौकी, काशीफल आदि की फसल शामिल हैं। माना जा रहा है कि पलेज की बुआई प्रभावित होने से इस बार सब्जी व तरबूज, खरबूजे आदि को लेकर बाजार में संकट रहेगा। फल व सब्जियों के दाम बढ़ सकते हैं। मधुसूदनपुर निवासी राकेश कुमार, बसंता आदि के मुताबिक इस बार गंगा में बार बार पानी बढ़ने से पलेज की फसल नहीं बोई गई है। अगर हालात यही रहा तो पछेती वैरायटी की फसल भी नहीं बोई जाएगी।
बिजनौर। महाकु ंभ के चलते इस बार पलेज की खेती पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। गंगा नदी में जलस्तर गत वर्षों के मुकाबले अधिक होने के कारण पलेज की बुआई प्रभावित हो गई है। नतीजा इस बार सब्जियों के दाम बाजार में लोगों के हाथ जलाएंगे।
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बालावाली से लेकर जलीलपुर क्षेत्र तक हजारों हेक्टेयर क्षेत्रफल में पलेज की बुआई होती है। हर वर्ष इन दिनों गंगा में पानी का जलस्तर कम ही रहता था, जिससे लोग गंगा की रेती पर पलेज उगा लेते थे, लेकिन इस बार महाकुंभ के चलते गंगा जल का प्रवाह बढ़ाने के लिए अधिक पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे गंगा की मैली साफ हो सके और संतों को प्रदूषण रहित गंगा जल उपलब्ध हो। बार बार अधिक पानी छोड़े जाने से गंगा व आसपास के क्षेत्रफल में पानी फैल जाता है। पानी के कारण पलेज की बुआई प्रभावित हो गई है। पलेजियों के मुताबिक जनवरी माह में पलेज की अगेती प्रजाति की बुआई होती है और मार्च में फसल तैयार हो जाती है। पलेज में खीरे, ककड़ी, टमाटर, तरबूज, लौकी, काशीफल आदि की फसल शामिल हैं। माना जा रहा है कि पलेज की बुआई प्रभावित होने से इस बार सब्जी व तरबूज, खरबूजे आदि को लेकर बाजार में संकट रहेगा। फल व सब्जियों के दाम बढ़ सकते हैं। मधुसूदनपुर निवासी राकेश कुमार, बसंता आदि के मुताबिक इस बार गंगा में बार बार पानी बढ़ने से पलेज की फसल नहीं बोई गई है। अगर हालात यही रहा तो पछेती वैरायटी की फसल भी नहीं बोई जाएगी।
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