बिजनौर। एसीजेएम रीता सिंह ने नाम बदलकर पासपोर्ट बनवाने के लिए फर्जी दस्तावेजों को पेश करने वाले युवक चुनमुन उर्फ रिजवान को तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। थाना कोतवाली देहात के ग्राम ऊमरी निवासी एक युवक ने अपना नाम मो. चुनमुन बताते हुए बरेली में पासपोर्ट बनवाने के लिए आवेदन किया था। उसके प्रपत्रों की जांच की गई तो पता चला कि उसका असली नाम रिजवान है, जिसने अपने पिता का जो राशन कार्ड दाखिल किया, जांच में पता चला कि असली राशन कार्ड में उसका नाम रिजवान ही था, उसने गलत तरीके से अपना नाम बदलकर चुनमुन करा दिया। जन्म तिथि के लिए लगाई टीसी में बाल सदन स्कूल बरुकी के प्रधानाचार्य विनोद शर्मा ने बताया कि यहां से कोई टीसी चुनमुन को जारी नहीं की। यह टीसी भी जांच में फर्जी पाई गई है। इसके अलावा बैंक के कागजात भी गलत निकले। जांच में यह भी पता चला कि रिजवान की पत्नी ने उस पर दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दायर कर रखा था, जिसमें वह जेल गया था। उसके खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में था, उसे पासपोर्ट रिजवान के नाम से नहीं मिल सकता था, इसलिए उससे बचने के लिए उसने अपना नाम बदला और फर्जी दस्तावेज के आधार पर पासपोर्ट हासिल करने की कोशिश की। इस घटना की रिपोर्ट एलआईयू के प्रभारी निरीक्षक ने 28 नवंबर 2011 को दर्ज कराई थी। अदालत ने चुनमुन उर्फ रिजवान को धोखाधड़ी कर पासपोर्ट हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज दाखिल करने का दोषी पाते हुए सजा सुनाई है।
बिजनौर। एसीजेएम रीता सिंह ने नाम बदलकर पासपोर्ट बनवाने के लिए फर्जी दस्तावेजों को पेश करने वाले युवक चुनमुन उर्फ रिजवान को तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है।
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थाना कोतवाली देहात के ग्राम ऊमरी निवासी एक युवक ने अपना नाम मो. चुनमुन बताते हुए बरेली में पासपोर्ट बनवाने के लिए आवेदन किया था। उसके प्रपत्रों की जांच की गई तो पता चला कि उसका असली नाम रिजवान है, जिसने अपने पिता का जो राशन कार्ड दाखिल किया, जांच में पता चला कि असली राशन कार्ड में उसका नाम रिजवान ही था, उसने गलत तरीके से अपना नाम बदलकर चुनमुन करा दिया। जन्म तिथि के लिए लगाई टीसी में बाल सदन स्कूल बरुकी के प्रधानाचार्य विनोद शर्मा ने बताया कि यहां से कोई टीसी चुनमुन को जारी नहीं की। यह टीसी भी जांच में फर्जी पाई गई है। इसके अलावा बैंक के कागजात भी गलत निकले। जांच में यह भी पता चला कि रिजवान की पत्नी ने उस पर दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दायर कर रखा था, जिसमें वह जेल गया था। उसके खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में था, उसे पासपोर्ट रिजवान के नाम से नहीं मिल सकता था, इसलिए उससे बचने के लिए उसने अपना नाम बदला और फर्जी दस्तावेज के आधार पर पासपोर्ट हासिल करने की कोशिश की। इस घटना की रिपोर्ट एलआईयू के प्रभारी निरीक्षक ने 28 नवंबर 2011 को दर्ज कराई थी। अदालत ने चुनमुन उर्फ रिजवान को धोखाधड़ी कर पासपोर्ट हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज दाखिल करने का दोषी पाते हुए सजा सुनाई है।
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