दुबौलिया। कस्बे के राम विवाह मैदान में चल रही राम कथा के पांचवें दिन कथा वाचक स्वामी स्वरूपानंद ने भगवान राम के बाल लीला का वर्णन किया। इसमें श्रीराम के बाल लीला का मार्मिक वर्णन किया। कथा को आगे बढ़ाते हुए स्वामी जी ने कहा कि दसों इंद्रियों को अपने वश में करने वाले तथा अपने वचन पर अटल रहने वाला ही दशरथ है। भगवान राम जब अवतार हुआ तो सूर्य एक माह तक ही अवध में रुके रहे। एक महीने का दिन हो गया। इसका तात्पर्य है कि जिनके जीवन में राम का अवतार हो जाता है, उसके जीवन में कभी अंधेरा नहीं होता है। अयोध्या वासियों के लिए एक महीने का समय एक दिन के समान बीत गया। स्वामी स्वरूपानंद ने कहा कि आज दुनिया में व्यक्ति सिर्फ भौतिकता की तरफ भाग रहा है। वह सोचता है कि भौतिक सुखों में ही आनंद है। लेकिन यह उसी प्रकार की बात है, जैसे भोजन जरूरी है। रोगी के लिए दवा उससे ज्यादा जरूरी है। दुनिया में हर व्यक्ति मानसिक पीड़ा से पीड़ित है। भौतिक सुख साधनों से सुख शायद कुछ क्षणों के लिए सुख मिल सकता है। लेकिन शांति नहीं मिल सकती। प्रभु राम की शरण में ही आनंद और सुख प्राप्त होंगे। स्वामी स्वरूपानंद ने कहा कि भरत के समान संत इस धरती पर अब तक अवतरित नहीं हुआ है। इस मौके पर आयोजक बाबू राम सिंह, राम लौट यादव, अनिल सिंह, कमला प्रसाद गुप्ता, नरेंद्र प्रसाद गुप्ता, हरिओम पांडेय, सुनील सिंह, प्रवीन सिंह, पप्पू सिंह, डॉ. जेआर मौर्या, राधेश्याम, प्रेम प्रकाश मोदनवाल, दिनेश पांडेय आदि मौजूद रहे।
दुबौलिया। कस्बे के राम विवाह मैदान में चल रही राम कथा के पांचवें दिन कथा वाचक स्वामी स्वरूपानंद ने भगवान राम के बाल लीला का वर्णन किया। इसमें श्रीराम के बाल लीला का मार्मिक वर्णन किया।
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कथा को आगे बढ़ाते हुए स्वामी जी ने कहा कि दसों इंद्रियों को अपने वश में करने वाले तथा अपने वचन पर अटल रहने वाला ही दशरथ है। भगवान राम जब अवतार हुआ तो सूर्य एक माह तक ही अवध में रुके रहे। एक महीने का दिन हो गया। इसका तात्पर्य है कि जिनके जीवन में राम का अवतार हो जाता है, उसके जीवन में कभी अंधेरा नहीं होता है। अयोध्या वासियों के लिए एक महीने का समय एक दिन के समान बीत गया। स्वामी स्वरूपानंद ने कहा कि आज दुनिया में व्यक्ति सिर्फ भौतिकता की तरफ भाग रहा है। वह सोचता है कि भौतिक सुखों में ही आनंद है। लेकिन यह उसी प्रकार की बात है, जैसे भोजन जरूरी है। रोगी के लिए दवा उससे ज्यादा जरूरी है। दुनिया में हर व्यक्ति मानसिक पीड़ा से पीड़ित है। भौतिक सुख साधनों से सुख शायद कुछ क्षणों के लिए सुख मिल सकता है। लेकिन शांति नहीं मिल सकती। प्रभु राम की शरण में ही आनंद और सुख प्राप्त होंगे। स्वामी स्वरूपानंद ने कहा कि भरत के समान संत इस धरती पर अब तक अवतरित नहीं हुआ है।
इस मौके पर आयोजक बाबू राम सिंह, राम लौट यादव, अनिल सिंह, कमला प्रसाद गुप्ता, नरेंद्र प्रसाद गुप्ता, हरिओम पांडेय, सुनील सिंह, प्रवीन सिंह, पप्पू सिंह, डॉ. जेआर मौर्या, राधेश्याम, प्रेम प्रकाश मोदनवाल, दिनेश पांडेय आदि मौजूद रहे।
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